देश में आर्थिक समीक्षा 2023 रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट से जहाँ एक और देश की आर्थिक हालत का पता चलता है वहीँ देश की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति भी स्पष्ट होती है. इस बार जारी आर्थिक समीक्षा से पता चला है कि स्कूलों में बच्चों की ड्राप आउट दर में कमी आई है. साथ ही स्कूलों जाने वाले बच्चों की लैंगिक समानता में भी सुधार हुआ है. वहीँ उच्च शिक्षा के नामांकन में भी वृद्धि दर्ज की गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस वित्तीय वर्ष में लैंगिक समानता में भी सुधार हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 6 से 10 वर्ष की आयु की लड़कियों के साथ-साथ लड़कों के प्रतिशत में कक्षा 1 से 5 में प्राथमिक-नामांकन में सकल नामांकन अनुपात (GER) में सुधार हुआ है. जबकि 2017-19 के दौरान इस में अत्यधिक कमी दर्ज की गई थी. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि, प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक स्तरों में संबंधित आयु समूहों में लड़कियों का जीईआर लड़कों की तुलना में बेहतर है.
समीक्षा के अनुसार, पूर्व-प्राथमिक के अतिरिक्त, सभी स्तरों - प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च-माध्यमिक में छात्रों के नामांकन में वृद्धि दर्ज की गई है. वित्तीय वर्ष-21 प्री-प्राइमरी स्तर पर स्कूलों में नामांकन 1.1 करोड़ था जो वित्तीय वर्ष 2022 में घटकर 1 करोड़ हो गया.
वितीय वर्ष 2022 में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में लगभग एक करोड़, प्राथमिक में 12.2 करोड़, उच्च प्राथमिक में 6.7 करोड़, माध्यमिक में 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक में 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ है. साथ इस वर्ष लड़के और लडकियों दोनों की ही स्कूल ड्राप आउट दर में कमी दर्ज की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष छात्र शिक्षक अनुपात में भी सुधार हुआ है. वित्तीय वर्ष 2013 से 2022 तक स्कूली शिक्षा में सभी स्तरों पर सुधार दर्ज किया गया है.