बीते कुछ दिनों से गौतम अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर खबरों में बने हुए हैं। हालांकि, आज वह जितनी संपत्ति के मालिक हैं, उसके लिए उन्होंने खुद का रास्ता चुना और उस पर चले। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गौतम अडानी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं, जिसमें आप गौतम द्वारा अपने जीवन में लिए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसलों व उनके समूह के बारे में जान सकेंगे।
गौतम अडानी ने अपने जीवन में समय-समय पर कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं, जिसकी वजह से उन्होंने आज अपना एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया है। इसके लिए उन्होंने अपने परिवार के बिजनेस को चलाने के बजाय खुद का बिजनेस शुरू करना का फैसला लिया।
स्कूल ड्रॉपआउट हैं गौतम
आपको बता दें कि अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी स्कूल ड्रॉपआउट हैं। वह अहमदाबाद के सीएन विद्यालय से कॉर्मस पढ़ रहे थे, इस बीच उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और बिजनेस की ओर रूख किया।
20 साल की उम्र में बन गए थे करोड़पति
गौतम अडानी के परिवार का टेक्सटाइल का बिजनेस था, लेकिन उनकी अपने परिवार के बिजनेस में कोई रूचि नहीं थी। ऐसे में उन्होंने हीरे का कोरबार करने का निर्णय लिया और सिर्फ तीन साल के अंदर ही वह 20 साल की उम्र में करोड़पति बन गए थे।
देश में सबसे ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करता है अडानी समूह
अदानी समूह की कंपनी अडानी पावर लिमिटेड निजी क्षेत्र में देश में सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी है, जो ऊर्जा का सबसे अधिक उत्पाद करती है। अडानी समूह के थर्मल पावर प्लांट 4620 मेगावॉट तक बिजली का उत्पादन करते हैं। यही नहीं, उनकी कंपनी ही देशभर में सबसे अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन करती है।
आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा
अडानी समूह कमाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी जुड़ा हुआ है। इसके तहत अडानी समूह की ओर से अहमदाबाद में अडानी विद्या मंदिर स्कूल का संचालन किया जाता है, जिसमें गरीब बच्चों को मुफ्त में स्कूली शिक्षा दी जाती है।
कांडला पोर्ट पर लिया था कुछ बड़ा करने का निर्णय
गौतम अडानी स्कूली दिनों में एक दिन गुजरात के कांडला पोर्ट पर पहुंचे, तो वह बड़े पोर्ट को देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने उसी दिन निर्णय लिया था कि वह भी जीवन में कुछ ऐसा ही या फिर इससे बड़ा बनाएंगे। इसके बाद उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत शुरू कर दी थी।
रेल-पोर्ट लिंक नीति के लिए भी जाने जाते हैं अडानी
आज भारत में पोर्ट रेलवे के नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। इसके पीछे अडानी का दिमाग माना जाता है। अडानी ने 2001 से 2004 तक रेल मंत्री रहे नीतिश कुमार को रेल-पोर्ट लिंक का महत्व बताकर इस नीति को बनाने का सुझाव दिया था, जिसके बाद सरकार ने रेल-पोर्ट लिंक नीति शुरू की थी और आज अमूमन सभी पोर्ट रेलवे नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
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