क्या आपको याद है बचपन का वो पंसदीदा पारले बिस्कुट, जी हाँ वही पारले बिस्कुट जो आपने बचपन में कभी न कभी खाया ही होगा. क्या आप जानते हैं इस पारले कंपनी की स्थापना कैसे हुई और कैसे इसने देश के हर घर में अपनी अलग पहचान बनाई. आज हम आपके लिए पारले कंपनी की कहानी ले कर आये हैं. पारले का हर प्रोडक्ट आपको सामान्यत घरों में मिल ही जाता होगा, कभी किसी बिस्कुट के रूप में तो कभी चाय, कॉफ़ी और नमकीन या फ्रूट जूस के रूप में.
पारले कंपनी कोई नई नहीं है बल्कि ये देश में स्थापित सबसे पुरानी कम्पनीयों में से एक है. पारले का ओरिजिनल नाम हाउस ऑफ़ पारले था और इसकी स्थापन वर्ष 1929 मोहनलाल दयाल चौहान ने की थी. इस कंपनी की स्थापना स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित हो कर की गई थी. हालाँकि चौहान परिवार के लिए कन्फैक्शनरी का व्यापार नया काम था क्योंकि वास्तव में ये परिवार स्लिक उद्योग से जुड़ा था. मोहनलाल कन्फैक्शनरी का व्यापार सीखने के लिए जर्मनी गए और वहां से इसकी पूरी ट्रेनिंग ली. जब वह व्यापार सीख कर भारत लौटे तो अपने साथ कन्फैक्शनरी के व्यापार की कई मशीने साथ लाये.
मोहनलाल ने वर्ष 1928 मुंबई के विले पार्ले में अपने परिवार के 12 सदस्यों के साथ इस कंपनी की शुरुआत की. शुरू में इन सदस्यों ने ही कंपनी के कर्मचारियों के रूप में काम किया. विले पार्ले का नाम भी कंपनी के नाम पर ही रखा गया है. सबसे पहले कंपनी ने अपने पहले प्रोडक्ट के रूप में ऑरेंज कैंडी बनाई, लेकिन कंपनी को सबसे अधिक प्रसिद्धि पारले बिस्कुट से ही मिली. कंपनी ने 1938 में इस बिस्कुट को लॉन्च किया, ये एक ग्लोकोज बिस्कुट था. वर्ष 1982 में पहली बार पारले का विज्ञापन टीवी पर आगया और इसके बाद तो ये बिस्कुट कुछ ही समय में देश के बच्चों और बड़ों का पसंदीदा बिस्कुट बन गया, इसे घर-घर खाया और पंसद किया जाने लगा. वर्ष 1985 के आस-पास इसके नाम में कुछ परिवर्तन कर के इसे पारले जी कहा जानें लगा. एक लम्बे समय तक ये बिस्कुट भारत में सबसे अधिक बिकने वाला बिस्कुट बन गया.
वर्षों तक इस बिस्कुट को कागज के पैकेट में पैक किया जाता रहा लेकिन समय के साथ इसकी पैकिंग प्लास्टिक के पेपर में होने लगी. पारले धीरे से अपने और प्रोडक्ट भी मार्केट में उतारने लगा जैसे किसमी चोकलेट, मनाको बिस्कुट, तथा अन्य उत्पाद . साथ ही मनाको देश का पहला साल्टेड बिस्कुट भी बन गया. इसके बाद कंपनी मार्केट में पोपिंस लेकर आई जो कुछ ही समय में बच्चों की फेवरेट बन गई.
बाद में चौहान परिवार में हुए बंटवारे में ये कंपनी तीन भागों में बंट गई-पारले प्रॉडक्ट्स, पारले एग्रो और पारले बिसलेरी. बिसलेरी, वेदिका,बिसलेरी सोडा आदि पारले बिसेलरी के ब्रांड हैं. जबकि माजा, थम्स अप, लिम्का, सिट्रा और गोल्ड स्पॉट भी पहले पारले बिसेलरी के ही ब्रांड थे और वर्ष 1993 में इन्हें कोका कोला ने इन्हें खरीद लिया था. पारले बिसलेरी कंपनी का नाम पहले पारले ग्रुप था.
जबकि एप्पी फिज, बी फिज, फ्रूटी, बैले, स्मूद आदि पारले एग्रो के प्रमुख ब्रांड हैं. पारले प्रॉडक्ट्स के उत्पादों में पारलेजी, 20-20 कुकीज, क्रैकजैक, मोनैको, हैप्पी हैप्पी, मिलानो, पारले आटा, पारले रस्क, हाइड एंड सीक, मिल्क शक्ति, जिंग, कच्चा मैनगो बाइट, किसमी, मैलोडी आदि शामिल हैं.