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Indian Railway: OHE Pole पर क्यों लटकाया जाता है 667 KG वजन, जानें

Indian Railway: आपने भारतीय रेलवे में सफर किया होगा और ओएचई पोल पर वजन लटकते हुए देखा होगा। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों इस वजन को लकटाया जाता है। कारण जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

Indian Railway: OHE Pole पर क्यों लटकाया जाता है 667 KG वजन, जानें
Indian Railway: OHE Pole पर क्यों लटकाया जाता है 667 KG वजन, जानें

Indian Railway: भारतीय रेलवे में देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए प्रमुख साधन है। इतने बड़े नेटवर्क को चलाने के लिए रेलवे छोटी-छोटी चीजों का भी ध्यान रखता है, जिससे यातायात बिना रूके चल सके। आप जब कभी रेलवे में यात्रा करते होंगे, तब आपने ओएचई पोल पर वजट लटकते हुए देखा होगा। लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिर क्यों रेलवे इस वजन को लटकाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम यह जानेंगे। 

 

क्या होता है ओएचई

 

रेलवे में पटरियों के किनारे ओएचई होता है, जिसे ओवर हेड इक्वेपमेंट कहा जाता है। इसके सहारे से ही रेलवे बिजली के केबल को लटकाता है, जिससे इलेक्ट्रिक इंजन बिजली लेकर चलता है। 

 

केबल में इतना रहता है करंट

 

धातु की प्रवृत्ति सर्दी और गर्मी के मौसम में बदलती रहती है। इलेक्ट्रिक ट्रेनों को बिजली आपूर्ति करने वाली तार भी धातु की होती है, जिसमें 25,000 वॉट करंट होता है। यह करंट इतना होता है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा छूने पर उसे जला सकता है। वहीं, गर्मी के मौसम में तार गर्म होकर फैलती है, जिससे यह धीली हो जाती है, जबकि सर्दी के मौसम में तार सिकुड़ने लगती है, जिससे इसके टूटने का संभावना रहती है। 

 

2000 किलो का टेंशन बनाए रखना होता है

 

रेलवे में ओएचई केबल में तारों को एक ही स्थिति में बनाए रखने के लिए 2000 किलो का टेंशन बनाए रखना होता है, जिससे इलेक्ट्रिक इंजन को बिजली मिलती रहे। क्योंकि, रेलवे लोकोमोटिव के ऊपर लगा पेंटोग्राफ तार के ढीले होने पर करंट नहीं ले सकेगा, जिससे ट्रेन के संचालन पर फर्क पड़ेगा। ऐसे में केबल को ड्रॉपर की मदद से एक निश्चित स्थान पर लटका कर करंट की आपूर्ति की जाती है।

 

इसलिए लकटाया जाता है वजन

 

ओएचई तार सर्दी और गर्मी के मौसम में सिकुड़ती और फैलती है, जिससे इसके टूटने की संभावना रहती है। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए रेलवे ओएचई पोल पर ऑटो टेंशिनिंग उपकरण का इस्तेमाल करता है। इसके लिए तारों को पुली के माध्यम से जोड़ा जाता है, जिसके अंत पर काउंटर वेट लटकाया जाता है, जिसका वजन 667 किलो तक होता है। इसके माध्यम से यह तारों का रूप बदलने की दिशा में खुद से संतुलित होता है। यानि यदि केबल धीली पड़ेगी, तो यह केबल को कस देगा, जिससे ट्रेन के संचालन में बाधा नहीं आएगी। वहीं, यदि तार सिकुड़ने लगेगी, तो यह पुली के माध्यम से तारों को ढीला करेगा।

 

हम उम्मीद करते हैं कि आप ऊपर दिए गए लेख के माध्यम से आप समझ गए होंगे कि ओएचई पर वजन को क्यों लटकाया जाता है। रेलवे से जुड़ी रोचक जानकारी पढ़ने के लिए जागरण जोश की वेबसाइट को देखते रहिए और इसी तरह के लेख पढ़ते रहिएं।

 

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