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Indian Railway: भारत की पहली Hydrogen Train किस तकनीक पर है आधारित और कितनी पड़ेगी महंगी, जानें

Indian Railway: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के चलने को लेकर घोषणा की है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि हाइड्रोजन ट्रेन किस तकनीक पर आधारित होगी और डीजल ट्रेनों की तुलना में यह कितनी महंगी पड़ सकती है। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।

Indian Railway: भारत की पहली Hydrogen Train किस तकनीक पर है आधारित और कितनी पड़ेगी महंगी, जानें
Indian Railway: भारत की पहली Hydrogen Train किस तकनीक पर है आधारित और कितनी पड़ेगी महंगी, जानें

Indian Railway: भारत में पर्यावरण को देखते हुए ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन पर जोर दिया जा रहा है, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। यही वजह है कि हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जा रहा है। साथ ही कई कार कंपनियां भी हाइड्रोजन से चलने वाली कारें बनाने पर विचार कर रही हैं। दूसरी ओर, अब भारतीय रेलवे भी डीजल के बजाय हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर ट्रेन चलाने पर विचार कर रहा है, जिससे भविष्य में प्रदूषण की समस्या न बढ़े। इस लेख के माध्यम से हम आपको हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन की तकनीक व यह कितनी महंगी पड़ेगी, इसे लेकर जानकारी देंगे।

 

वंदे मेट्रो के नाम से चलेंगी हाइड्रोजन ट्रेनें

 

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के चलने को लेकर घोषणा की है। इस ट्रेन को दिसंबर 2023 तक कालका-शिमला ऐतिहासिक सर्किट पर स्थानीय रूप से डिजाइन और निर्मित किया जाएगा। हालांकि, हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन तकनीक अभी भी केवल कुछ ही देशों तक सीमित है। भारत में भविष्य में हाइड्रोजन ट्रेनों को वंदे मेट्रो के नाम से जाना जाएगा। 

 

इन रूट पर चलेंगी यह ट्रेनें

 

शुरुआत में इन ट्रेनों को पहाड़ी इलाकों में बने ट्रेन रूट पर चलाया जाएगा। ऐसे में शुरुआत में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, माथेरान रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वघई और मारवाड़-देवगढ़ मद्रिया सहित ऐतिहासिक नैरो-गेज रूट पर ट्रेनें चलेंगी। इससे यहां का वातावरण प्रदूषित नहीं होगा ।



क्या होती हैं हाइड्रोजन ट्रेनें ?

 

हाइड्रोजन ट्रेनें वे हैं, जो पारंपरिक डीजल इंजनों के बजाय हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग करती हैं। हाइड्रोजन फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को परिवर्तित करके बिजली का उत्पादन करता है, जिसका उपयोग ट्रेन की मोटरों को चलाने में किया जाता है। 

 

ट्रेन चलने पर नहीं होता है प्रदूषण

 

हाइड्रोजन ट्रेनें  चलने के दौरान हानिकारक प्रदूषक, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करती हैं, जबकि डीजल इंजन ट्रेने चलने के दौरान खतरनाक गैसों का उत्सर्जन करती हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। वहीं, हवा, सौर और हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है। इसे ग्रीन हाइड्रोजन भी कहा जाता है, क्योंकि यह नवीकरनणीय ऊर्जा से बना होता है।

 

इतनी पड़ सकती है महंगी 

 

हाइड्रोजन ट्रेनें पर्यावरण के लिए तो अनुकूल हैं, लेकिन इनका परिचालन महंगा है। शोध और रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, ग्रीन हाइड्रोजन की भारत में कीमत लगभग 492 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो कि बहुत अधिक है। ऐसे में हाइड्रोजन इंजन की परिचालन लागत डीजल इंजन की तुलना में 27% अधिक होगी। यही नहीं, बल्कि फ्यूल सेल और भंडारण करने के लिए भी अलग से रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इन सभी कारण को देखते हुए हाइड्रोजन ट्रेनों का परिचालन बहुत महंगा पड़ सकता है।  बाकी देशों में भी यह परिचालन लागत अधिक होने की वजह से सीमित है। 

 

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Disclaimer:  इस लेख में गलती से सेल्स को कोशिकाएं लिख दिया गया था, जिसे ठीक किया गया है।