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Indian Railway: दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव है WAG-12, 600 ट्रकों के बराबर है क्षमता

Indian Railway: आपने रेलवे के बहुत लोकोमोटिव देखे होंगे, जो अलग-अलग काम के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव WAG-12 के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि भारतीय रेलवे में है और 600 ट्रकों की क्षमता से हजारों टनों का वजन अकेले खींच सकता है।

Indian Railway: दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव है WAG-12, 600 ट्रकों के बराबर है क्षमता
Indian Railway: दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव है WAG-12, 600 ट्रकों के बराबर है क्षमता

Indian Railway:  भारतीय रेलवे में आपने मालगाड़ियों से लेकर पैसेंजर ट्रेनों में अलग-अलग लोकोमोटिव देखे होंगे, जिनका इस्तेमाल कर रेलवे ट्रेनों का संचालन करती है। दिखने में यह लोकोमोटिव काफी बड़े और शक्तिशाली होते हैं। वहीं, इन सभी लोकोमोटिव के अलावा भी भारतीय रेलवे ने दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकोमोटिव WAG -12 तैयार किया है, जो अकेले 600 ट्रकों की क्षमता रखता है।

 

फ्रांस की कंपनी के सहयोग से बनाया

 

भारतीय रेलवे ने वैग 12 लोकोमोटिव का निर्माण फ्रांस की Alstom कंपनी के साथ मिलकर बिहार के मधेपुरा में किया है। इसके लिए अलग से एक वेंचर का निर्माण किया गया है, जिसका काम लोकोमोटिव निर्माण करना है। 

 

ट्वीन सेक्शन वाला है यह लोकोमोटिव

 

भारतीय रेलवे का यह लोकोमोटिव ट्वीन सेक्शन वाला लोकोमोटिव है। यानि, इसमें दो इंजन हैं। आमतौर पर आप किसी मालगाड़ी में कई बार दो लोकोमोटिव को लगा हुआ देखते होंगे, जिससे अधिक वजन को खींचा जा सके। वहीं, रेलवे ने इस समस्या का हल निकालते हुए अपनी तरह का यह पहला लोकोमोटिव बनयाा है, जिसमें स्थायी रूप से दो इंजन को लगाया गया है, जिससे एक बार में अधिक से अधिक वजन को खींचा जा सके और दूसरा लोकोमोटिव लगाने की आवश्यकता नहीं पड़े।

 

12000 हॉर्स पावर का है इंजन

भारतीय रेलवे के इस लोकोमोटिव में 12000 हॉर्स पावर का इंजन है, जो कि अकेले ही 6000 टन वजन को खींच सकता है। उदाहरण के तौर पर देखें, तो एक ट्रक आमतौर पर 10 टन तक वजन खींच सकता है, यानि यह इंजन अकेले ही 600 ट्रकों की क्षमता से वजन खींच सकता है।  

 

दो जगह बनाए गए हैं मेंटेनेंस सेटंर 

 

रेलवे के इस शक्तिशाली लोकोमोटिव के लिए दो जगह मेंटेनेंस सेंटर बनाए गए हैं। इसमें से एक सेंटर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर और दूसरा सेंटर महाराष्ट्र के नागपुर में बनाया गया है, जिससे अलग-अलग लाइनों पर चलने के दौरान इस लोकोमोटिव की मरम्मत की जा सके। 



सिर्फ इंजन का है 180 टन वजन 

रेलवे द्वारा इस लोकोमोटिव में लगाए गए सिर्फ इंजन का वजन ही 180 टन है, जबकि इंजन के अलावा लोकोमोटिव का वजन अलग है। ऐसे में यह लोकोमोटिव अन्य लोकोमोटिव की तुलना में बहुत भारी है। रेलवे ने ऐसे इसलिए किया है, क्योंकि वजन कम होने पर कई बार चढ़ाई पर पटरियों पर पहियों के फिसलने की समस्या आ जाती है। ऐसे में अधिक वजन होने के साथ इस लोकोमोटिव के पहिये नहीं फिसलेंगे और यह आगे बढ़ता रहेगा। 



इतनी रफ्तार से चलता है यह लोकोमोटिव

इस लोकोमोटिव की अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है, लेकिन यह 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलता है। आपको बता दें कि आमतौर पर मालगाड़ी की औसत रफ्तार 25 से 30 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है।



क्यों चलाया जा रहा है

 

इस लोकोमोटिव का निर्माण विशेषतौर पर डेडिकेडिड फ्रेट कॉरिडोर के लिए किया गया है। इस ट्रैक पर सिर्फ मालगाड़ी जाती है, जिससे मालगाड़ी तेजी से चलकर समय पर पहुंच सकती है। ऐसे में अधिक वजन खींचने के साथ तेज रफ्तार से चलने के लिए इस इंजन का निर्माण किया गया है।

 

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