Joshimath Sinking: उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसी धार्मिक नगरी जोशीमठ बीते कई दिनों से धंस रहा है। इस वजह से यहां के लोग संकट का सामना कर रहे हैं। हालात यह है कि यहां कई सैकड़ों घरों में दरारें पड़ गई हैं। कई लोगों ने डर की वजह से अपना घर छोड़ दिया है और सड़कों पर आ गए हैं। वहीं, पूरे शहर में निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लग गई है। ऐसे में यहां के लोगों के मन में डर बैठ गया कि कहीं पूरा पहाड़ न धंस जाए। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि पहाड़ के धंसने की क्या वजह हो सकती है और इस नगरी का इतना धार्मिक महत्व क्यों हैं।
सड़क धंसी और मकानों में आई दरार
जोशीमठ में बीते कुछ दिनों से कई सड़कें धंस गई हैं। यही नहीं यहां बने कई सैकड़ों मकानों में दरारें भी आ गई हैं। इस वजह से लोगों ने अपना घर छोड़कर सड़क पर जगह ले ली है। कुछ लोग हाथों में टॉर्च लेकर सड़कों पर सरकार से संकट से निकलने के लिए मदद मांग रहे हैं। हालिया घटना को देखते हुए यहां निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लग गई है। यही नहीं लोगों के आने-जाने के लिए बनाए गए रोप-वे को भी बंद कर दिया गया है।
लोगों को डरा रही हैं जमीन के नीचे से आने वाली आवाजें
जोशीमठ में इन दिनों जमीन के नीचे से आने वाली आवाजें लोगों को डरा रही हैं। मीडिया रिपोर्टे के मुताबिक, लोग अपने घरों में जमीन के नीचे से रूक-रूककर जमीन खिंसकने की आवाजें सुन रहे हैं, जिन्हें सुनकर उन्हें अपने परिवार की चिंता होने लगी है। यही नहीं कुछ मकानों की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें भी पड़ गई हैं।
हाल ही में यहां के जेपी मारवाड़ी कॉलोनी में चट्टान फटने से निकले पानी की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस वजह से लोग अब सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही यहां के राजमार्गों पर भी दरारें देखी गई हैं।
यह बताया जा रहा है कारण
कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ शहर पूर्व में आए एक भूस्खलन पर बसा हुआ है। इस वजह से इसकी चट्टानें खिसक रही हैं। वहीं, कुछ एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि पानी की निकासी पूरी तरह से न होने के कारण यहां की चट्टाने खिसक रही हैं। इसके साथ ही अलकनंदा में हो रहा मिट्टी का कटाव भी इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। हालांकि, यहां की जांच के लिए आईआईटी रूड़की और वाडिया इंस्टीट्यूट समेत अन्य विशेषज्ञों की टीमों को जिम्मेदारी दी जा रही है।
जोशीमठ का धार्मिक इतिहास
देवभूमि उत्तराखंड में बसा जोशीमठ का धार्मिक इतिहास है। यही वजह है कि इसे धार्मिक नगरी भी कहा जाता है। यह एक छोटा शहर है, जिसका एक और नाम ज्योतिर्मठ भी है। आपको बता दें कि धार्मिक और सांस्कृतिक वाले इस शहर को बद्रीनाथ का द्वार भी कहा जाता है। इस शहर का इतिहास करीब 1500 साल पुराना बताया जाता है। 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य को जोशीमठ में ज्ञान प्राप्त हुआ था। उन्होंने चार मठों में पहले मठ की स्थापना यहीं की थी।
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