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Padma Awards 2023: Super-30 के आनंद कुमार ने पद्मश्री मिलने पर भविष्य को लेकर क्या की बड़ी घोषणा, जानें

Padma Awards 2023: बिहार के सुपर-30 बैच के संस्थापक आनंद कुमार को भारत सरकार ने पद्मश्री की सूची में शामिल किया है। इसके बाद से परिवार में खुशी का माहौल है। इस लेख के माध्यम से जानें, आनंद ने भविष्य को लेकर क्या घोषणा की है।

Padma Awards 2023:  Super-30 के आनंद कुमार ने पद्मश्री मिलने पर भविष्य को लेकर क्या की बड़ी घोषणा, जानें
Padma Awards 2023: Super-30 के आनंद कुमार ने पद्मश्री मिलने पर भविष्य को लेकर क्या की बड़ी घोषणा, जानें

Padma Awards 2023: सुपर-30 बैच चलाने वाले आनंद कुमार पूरे देश में मशहूर हैं। वह हर साल 30 बच्चों का बैच बनाकर इंजीनियरिंग के दाखिले के लिए तैयार करते हैं। भारत सरकार ने हाल ही में पद्मश्री को लेकर लोगों की सूची जारी की है, जिसमें आनंद कुमार का भी नाम है। वहीं, पद्मश्री मिलने से गदगद आनंद ने भविष्य को लेकर भी बड़ी घोषणा की है। इस लेख के माध्यम से आप उनके जीवन और उनकी भविष्य की घोषणा के बारे में जानेंगे। 

 

भारत सरकरा ने पद्मश्री के लिए 91 लोगों की सूची जारी की है। इसमें पेपरमेसी कलाकार सुभद्रा कुमार और टेक्सटाइल कलाकार  कपिलदेव प्रसाद शामिल हैं। वहीं, इसमें बिहार के सुपर-30 बैच चलाने वाले आनंद कुमार भी शामिल हैं। 

 

गृह मंत्रालय से आया फोन

आनंद ने एक साक्षात्कार में बताया कि उन्हें गृह मंत्रालय से कॉल आया था। कॉल पर गृह मंत्रालय की ओर से पद्मश्री मिलने की सूचना मिली, जिसके बाद परिवार में खुशी का माहौल है। इस खबर के बाद से पत्नी व भाई समेत अन्य लोग भी खुश हैं। 



पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे पिता

बिहार के पटना के रहने वाले आनंद के पिता पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे। घर में आर्थिक रूप से परेशानी थी। ऐसे में आनंद की पढ़ाई निजी स्कूल के बजाय सरकारी स्कूल में ही हिंदी माध्यम से हुई। आनंद ने हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएन कॉलेज में अपनी आगे की पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें उनकी मेहनत के दम पर विदेशी की एक यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला, लेकिन उनके पास फ्लाईट में जाने के लिए पैसे नहीं थे।

 

मां ने पापड़ बेचकर बच्चों को पढ़ाया

आनंद के परिवार में आर्थिक रूप से परेशानी थी। यही वजह रही कि घर का खर्च चलाना मुश्किल होता था। इस वजह से आनंद भी किसी बड़े स्कूल में नहीं पढ़ सके। हालांकि, आनंद की मां ने अपने बच्चों की पढ़ाई की खातिर पापड़ बेचे, जिससे बच्चों की पढ़ाई न रूके। वहीं, आनंद भी पढ़ने में होशियार थे। उनकी शुरू से ही गणित विषय में रूचि थी।



झुग्गी झोपड़ी से निकाल बच्चों को बड़ी कंपनियों में पहुंचाया

आनंद अपने बैच में गरीब बच्चों को शामिल करते हैं, जो आर्थिक परेशानी की वजह से महंगी कोचिंग में दाखिला नहीं ले पाते हैं, लेकिन सही मार्गदर्शन मिलने पर करियर में बेहतर कर सकते हैं। वे केवल 30 बच्चों का ही चयन करते हैं, जिसमें शामिल होना आसान नहीं होता है। आनंद के बैच से कई बच्चे झुग्गी झोपड़ी से निकलकर बड़ी-बड़ी कंपनियों में पहुंचे हैं। 



आगे बढ़ेगी सुपर 30 में संख्या

आनंद ने पद्मश्री मिलने पर एक साक्षात्कार में बताया है कि भविष्य में सुपर-30 बैच की संख्या को बढ़ाने पर जोर रहेगा, जिससे अधिक से अधिक बच्चे पढ़कर आगे बढ़ सके। 

 

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