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3600 मीटर की ऊंचाई पर है पंच केदार का यह मंदिर, 18 किमी की चढ़ाई कर होते हैं शिव के दर्शन

देवों के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में शिव के सामान्य से लेकर दुर्गम स्थलों पर मंदिर हैं,  जहां शिव के दर्शन के लिए भक्त कठिन रास्तों को पार कर पहुंचते हैं।  इस लेख के माध्यम से हम आपको पंच केदारों में शामिल ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 3600 मीटर की ऊंचाई पर बना है। वहीं, इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 किमी की चढ़ाई कर पहुंचा जा सकता है। 

3600 मीटर की ऊंचाई पर है पंच केदारों में शामिल यह मंदिर, 18 किमी की चढ़ाई कर होते हैं दर्शन
3600 मीटर की ऊंचाई पर है पंच केदारों में शामिल यह मंदिर, 18 किमी की चढ़ाई कर होते हैं दर्शन

भगवान शिव भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में शिव के कई प्राचीन मंदिर दुर्गम स्थलों पर बने हुए हैं, जहां तक पहुंचना आसान नहीं होता है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको पंच केदारों में शामिल भगवान शिव के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 3600 मीटर की चढ़ाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 18 किमी तक पहाड़ी रास्ते से ट्रैकिंग करते हुए जाना होता है। यह मंदिर भगवान शिव का रुद्रनाथ मंदिर है। तो, आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।



पहाड़ों में इस शहर में है रुद्रनाथ मंदिर 

 

पहाड़ों में बना रुद्रनाथ मंदिर देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड के चमोली जिले में बना है। यह मंदिर  नेपाल के पशुपतिनाथ की तरह माना जाता है। क्योंकि, यहां पर भगवान शिव के मुख के दर्शन के होते हैं, जबकि पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव के मुख के साथ पूरे शरीर के दर्शन भी होते हैं। ऐसे में लोग इसे पशुपतिनाथ के साथ जोड़ते हैं 

 

3600 मीटर की ऊंचाई पर बना है मंदिर

 

रुद्रनाथ मंदिर पहाड़ों का वादियों में 3600 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 18 किलोमीटर की दुर्गम चढ़ाई कर पैदल ही पहुंचना होता है। क्योंकि, यहां पर किसी अन्य साधन के पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है। 

 

प्राकृतिक सुंदरता के बीच से होकर गुजरता है रास्ता

मंदिर पहुंचने का रास्ता प्राकृतिक सुंदरता के बीच होकर गुजरता है। यहां पहुंचने के दौरान आपको ट्रैकिंग करनी होगी। इस बीच प्राकृति के सुंदर दृश्य, हरी घाटियां, सुंदर वादियां और स्वच्छ हवा के साथ आपका सफर पूरा होगा। ट्रैकिंग की शुरुआत के लिए आपको गोपेश्वर से सगर गांव पहुंचना होगा। यहां से आप मंदिर के लिए ट्रैकिंग शुरू करेंगे।

 

पितृधार में पितरों के नाम के रखे जाते हैं पत्थर

 

जब आप ट्रैकिंग करेंगे, तो रास्ते में एक पितृधार नाम की जगह मिलेगी, जहां श्रद्धालु अपने पितरों के नाम के पत्थरों को रखकर आगे बढ़ते हैं। इस जगह को लेकर भी लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां से रुद्रनाथ मंदिर का रास्ता करीब 10 किलोमीटर रह जाता है।  

 

शीतकालीन बंद हो जाते हैं कपाट

रुद्रनाथ मंदिर के हर साल सर्दी के मौसम में कपाट को विधि-विधान के साथ बंद कर दिया जाता है। इस दौरान भगवान शिव का निवास गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में होता है। 

इस तरह पहुंच सकते हैं मंदिर 

मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश पहुंचना होगा। यहां से आप टैक्सी या फिर अपनी कार के माध्यम से गोपेश्वर पहुंचेंगे। गोपेश्वर से सगर गांव पहुंच आप रुद्रनाथ मंदिर की ओर अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। वहीं, जो लोग विमान के माध्यम से पहुंचना चाहते हैं, वे जॉलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंच टैक्सी के माध्यम से यहां पहुंच सकते है। 

 

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