Ratan Tata: आपने अपने जीवन में कभी न कभी टाटा कंपनी के बने उत्पादों का इस्तेमाल किया होगा। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको टाटा संस के चेयरमैन रहे नवल रतन टाटा के बारे में बताएंगे, जो करोड़ों दिलों में राज करते हैं। यही नहीं वह सबसे अधिक युवाओं में पसंद किए जाते हैं। टाटा ने अपने नेतृत्व में कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। तो, आइये जानते हैं रतन टाटा की जीवनी के बारे में।
नवल रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था, 2022 में वह अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह बॉम्बे(अब मुंबई) के मूल निवासी थे।
टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा, रतन टाटा के परदादा हैं। रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया। वह जब केवल 10 वर्ष के थे, तब 1948 में उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। मुंबई में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने 1955 में न्यूयॉर्क शहर में रिवरडेल कंट्री स्कूल से अपना डिप्लोमा प्राप्त किया। टाटा ने 1959 में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में डिग्री हासिल करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। इसके बाद 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक प्रबंधन कार्यक्रम में दाखिला लिया।
आईबीएम के ऑफर को कर दिया था अस्वीकार
रतन टाटा ने टाटा संगठन में अपनी पहली नौकरी शुरू की थी। टाटा स्टील में उन्हें अपनी पहली ड्यूटी के रूप में ब्लास्ट फर्नेस और लाइमस्टोन डंप की देखरेख का काम मिला था। रतन टाटा ने अपने परिवार की कंपनी के लिए काम करने के पक्ष में आईबीएम से नौकरी के ऑफर को अस्वीकार कर दिया था।
लांस एंजिल्स में एक लड़की से हो गया था प्यार
रतन टाटा ने एक बार स्वीकार किया था कि जब वे लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था। लेकिन, 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता ने लड़की को भारत भेजने का विरोध किया था, जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की।
उनके सक्षम नेतृत्व में टाटा समूह का राजस्व 40 गुना से अधिक बढ़ गया था। वहीं, लाभ में भी 50 से अधिक के कारक की वृद्धि हुई थी। कंपनी ने 1991 में केवल 5.7 बिलियन डॉलर बनाने के बाद 2016 में लगभग 103 बिलियन डॉलर कमाए थे।
आपको यह भी बता दें कि रतन टाटा एक कुशल पायलट भी हैं। 2007 में वह F-16 फाल्कन चलाने वाले पहले भारतीय पायलट बने थे।
व्यवसायों का विलय कर खड़ा किया बड़ा साम्राज्य
रतन टाटा ने अपने करियर में खुद की कंपनी के साथ दूसरी कंपनियों का विलय कर बड़ा साम्राज्य खड़ा किया था। उन्होंने टाटा टी के साथ टेटली का विलय, टाटा मोटर्स के साथ लैंड रोवर जगुआर का विलय और टाटा स्टील के साथ कोरस का विलय किया है।
2009 में लांच की सबसे सस्ती कार
रतन टाटा ने भारतीयों के प्रति अपना वादा निभाते हुए साल 2009 में देश की सबसे किफायती कार टाटा नैनो लांच की थी, जिसकी कीमत एक लाख रुपये थी। इस कार को कई मॉडल में बनाया गया था। हालांकि, यह कार अधिक नहीं चल सकी।
रतन टाटा के निर्देशन में टाटा समूह ने भारतीय स्नातक छात्रों का समर्थन करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर की छात्रवृत्ति निधि की स्थापना की थी। इसके अतिरिक्त 2010 में रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के लिए एक कार्यकारी केंद्र बनाने के लिए 50 मिलियन डॉलर जुटाए थे। यहां हॉल का नाम टाटा हॉल है।
टाटा के पास मौजूद है कई महंगी कारों का जखीरा
उद्योगपति रतन टाटा ऑटोमोबाइल के प्रति जुड़ाव के लिए भी जाने जाते हैं। यही वजह है कि उनके पास फेरारी कैलिफ़ोर्निया, कैडिलैक एक्सएलआर, लैंड रोवर फ्रीलैंडर, क्रिसलर सेब्रिंग, होंडा सिविक, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मासेराती क्वाट्रोपोर्टे, मर्सिडीज बेंज 500 एसएल, जगुआर एफ-टाइप व जगुआर सहित वाहनों की विस्तृत श्रृंखला है।
आवारा कुत्तों को दिया आश्रय
उनके बॉम्बे हाउस मुख्यालय में हाल ही में मरम्मत के बाद आवारा कुत्तों के लिए एक केनेल(कुत्ता घर) बनाया गया है। यह केनेल भोजन, पानी, खिलौने और एक खेल क्षेत्र से सुसज्जित है। बॉम्बे हाउस का जमशेदजी टाटा के समय से बारिश के मौसम में आवारा कुत्तों को अंदर जाने देने का इतिहास रहा है।
65 फीसदी से अधिक धन कर देते हैं दान
एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा परिवार और व्यवसाय अपने धन का 65% से अधिक हिस्सा दान में देते हैं। यही वजह है कि वह अरबपतियों या दुनिया के सबसे धनी लोगों की सूची में नहीं हैं।
पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं टाटा
आपको यह भी बता दें कि स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना और बेहतर शिक्षा प्रणाली में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए रतन टाटा को पद्म विभूषण और पद्म भूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हालांकि, समय समय पर लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर भारत सरकार से उन्हें भारत रत्न देने की भी चर्चाएं चलती रही हैं।
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