Space: इस दुनिया के बाहर की दुनिया इंसानों के लिए हमेशा से शोध का हिस्सा रही है। खगोवविदों द्वारा समय-समय पर की जाने वाली खोज लोगों के बीच चर्चाओं का विषय रहती है। साथ ही नई खोज से भविष्य में अलग-अलग संभावनाओं को भी जन्म मिलता है। हाल ही में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के खगोलविदों ने पुणे में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) के डाटा की मदद से एक दूर की आकाशगंगा में परमाणु हाइड्रोजन से निकलने वाले रेडियो सिग्नल का पता लगाया है।
खगोविदो के मुताबिक, यह सिग्नल बहुत अधिक दूरी से मिला है। साथ ही यह 21 सेमी के मजबूत लेंस से उत्सर्जित पहली पुष्टि भी है।
क्या होता है परमाणु हाइड्रोजन
इस पूरे मामले को समझने के लिए यह भी जरूरी है कि परमाणु हाइड्रोजन क्या होता है। आपको बता दें कि परमाणु हाइड्रोजन एक आकाशगंगा में तारे के निर्माण के लिए बुनियादी ईंधन है। जब आस-पास के माध्यम से गर्म आयनित गैस आकाशगंगा में गिरती है, तो गैस ठंडी हो जाती है और परमाणु हाइड्रोजन बनाती है। यह मॉलीक्यूलर हाइड्रोजन बन जाती है और इससे तारे का निर्माण होता है।
21 सेमी से 48 सेमी पर रेडशिफ्ट हुआ सिग्नल
मैकगिल विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग और ट्रॉटियर स्पेस इंस्टीट्यूट के पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता अर्नब चक्रवर्ती के मुताबिक, आकाशगंगा की अत्यधिक दूरी के कारण जब तक सिग्नल स्रोत से दूरबीन तक पहुंचा, तब तक उत्सर्जन रेखा 21 सेमी से 48 सेमी तक रेडशिफ्ट हो गई थी। रेडशिफ्ट एक वैज्ञानिक शब्द है, जिसका मतलब इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियशन की वेवलैंथ बढ़ने और फ्रिक्वेंसी और फोटोन एनर्जी से कम होने से होता है। टीम द्वारा पता लगाया गया कि सिग्लन इस आकाशगंगा से उत्सर्जित हुआ था, जब ब्रह्मांड केवल 4.9 अरब वर्ष पुराना था।
परमाणु हाइड्रोजन 21 सेमी की रेडिय वेव उत्सर्जित करता है
परमाणु हाइड्रोजन 21 सेमी की रेडिय वेव उत्सर्जित करता है, जिसे जीएमआरटी जैसे कम आवृत्ति वाले रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है। ऐसे में 21 सेमी का उत्सर्जन पास और दूर दोनों आकाशगंगाओं से देखा जा सकता है।
Z वैल्यू का क्या पड़ता है प्रभाव
आईआईएससी के मुताबिक, अब तक 21 सेमी उत्सर्जन का उपयोग करते हुए सबसे दूर की आकाशगंगा रेडशिफ्ट z = 0.376 पर थी, जो 4.1 बिलियन वर्षों के लुक-बैक टाइम से मेल खाती थी। लुक-बैक टाइम सिग्नल और उसके मूल उत्सर्जन का पता लगाने के बीच बीता हुआ समय होता है। वहीं, रेडशिफ्ट वस्तु के स्थान और गति के आधार पर बदलने वाली वेवलैंथ को दर्शाता है। आपको बता दें कि यहां जितनी बड़ी z की वैल्यू होगी, यह उतनी ही दूर की वस्तु के बारे में बताएगा।
इस तरह हुई खोज
खगोलविदों ने यह खोज गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के माध्यम से की। इसमें स्रोत द्वारा उत्सर्जित प्रकाश एक अन्य बड़ी चीज की उपस्थिति के कारण मुड़ा हुआ था, जिससे सिग्नल के बारे में पता चला। टीम ने यह भी देखा कि इस विशेष आकाशगंगा का परमाणु हाइड्रोजन मास इसके तारे के मास से लगभग दोगुना था। इन परिणामों से यह साबित हुआ कि अधिक दूरी वाली आकाशगंगा से परमाणु गैस को एक ही समान लैंस से देखा जा सकता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इससे भविष्य की संभावनाओं को जन्म मिला है। यह भविष्य में न्यूट्रल गैस के लॉ फ्रिक्वेंसी वाले टेलिस्कोप की मदद से ब्रह्मांडीय विकास की जांच के लिए रोमांचक नई संभावनाओं को भी खोलेगा। क्योंकि, दूर के ब्रह्मांड से उत्सर्जित न्यूट्रल हाइड्रोजन का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
पढ़ेंः ऐसे 8 काम जो आप पृथ्वी पर कर सकते हैं लेकिन अन्तरिक्ष में नही