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Success Story: पिता घूम-घूमकर बेचते थे कपड़े, बेटा अनिल बसाक 45 रैंक के साथ बना IAS

Success Story:  बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल बसाक के पिता विनोद बसाक गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचा करते थे। अनिल ने संघर्ष के साथ तीसरे प्रयास में 45वीं रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा को पास किया और आईएएस अधिकारी बन गए। 

आईएएस अनिल बसाक
आईएएस अनिल बसाक

Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा देश की प्रतिष्ठित सेवाओं में शुमार है, जिसके लिए हर साल लाखों युवा तैयारी करता है। यह परीक्षा कठिन परीक्षाओं में शामिल है। हालांकि, यह और भी तब कठिन हो जाती है, जब किसी व्यक्ति का जीवन संघर्षों के साथ गुजर रहा हो। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बिहार के अनिल बसाक की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनके पिता गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचा करते थे और अनिल यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में तीसरे प्रयास में 45वीं रैंक के साथ आईएएस अधिकारी बन गए। 



अनिल का परिचय

 

अनिल मूलरूप से बिहार के किशनगंज के रहने वाले हैं। अनिल ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद जेईई मेंस की तैयारी की और इसके बाद एडवांस परीक्षा देकर उन्होंने आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।

 

पिता गांव-गांव जाकर बेचते थे कपड़े

अनिल ने एक ऐसा समय भी देखा, जब उनके पिता गांव-गांव जाकर कपड़े बेचा करते थे, जिसमें उनके पिता को काफी मेहनत करनी पड़ती थी। ऐसे में वह अपने पिता से अधिक संघर्ष नहीं कराना चाहते थे। अनिल ने अपने परिवार की आर्थिक हालत सुधारने का निश्चय किया था, जिसके लिए वह दिन-रात मेहनत करने के लिए तैयार थे। 

 

इंजीनियरिंग के दौरान आईएएस बनने का सपना

इंजीनियरिंग के दौरान अनिल ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देकर आईएएस बनने का निर्णय लिया था। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी थी।

 

तीसरे प्रयास में मिली सफलता 

अनिल ने जब यूपीएससी की तैयारी शुरू की, तो वह पहले प्रयास में ही फेल हो गए। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरा प्रयास किया। इस बार उन्होंने परीक्षा को 616 रैंक के साथ पास कर लिया था। हालांकि, वह इससे खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी को जारी रखा और तीसरे प्रयास के लिए तैयारी की। 



आर्थिक हालत ठीक न होने से नहीं ली कोचिंग

अनिल की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, जिसकी वजह से कोचिंग की महंगी फीस भरना मुश्किल था। ऐसे में उन्होंने 2018 के बाद कोचिंग नहीं ली, बल्कि खुद से ही तैयारी की। 

 

 
 
 
 
 
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तीसरे प्रयास में प्राप्त की 45वीं रैंक 

अनिल ने अपने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा दी और इस बार उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 45वीं रैंक प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना पूरा किया। 

 

माता-पिता को देते हैं सफलता का श्रेय

अनिल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता का देते हैं। एक मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में अनिल ने छात्रों को भी सुझाव दिया है कि अपने लक्ष्य तय करें और उस लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। लगातार प्रयास करने से सफलता प्राप्त की जा सकती है। 

 

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