यदि हमें अपना कोई जरूरत का सामान लेना होता है, तो हम दुकान पर पहुंच सामान खरीद लाते हैं। इसके लिए वहां हमें हमेशा एक दुकानदार मिल जाता है। वहीं, कुछ दुकानों पर वेंडिंग मशीनें भी पहुंच गई हैं। ऐसे में मशीन के माध्यम से हम पैसे जमा कर अपनी जरूरत का सामान ले लेते हैं। इसके अलावा बड़े-बड़े मॉल भी काफी संख्या में स्टॉफ मौजूद होता है। हालांकि, आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत के एक राज्य में एक ऐसा भी शहर है, जहां दुकानों में दुकानदार नहीं हैं। जी हां, यह दुकानें बिना किसी दुकानदार के सिर्फ भरोसे के दम पर चलती हैं, जहां ग्राहक खुद ही सामान लेते हैं और सामान के बदले रुपये रखकर चल देते हैं। तो आइये, जानते हैं पूरी कहानी।
मिजोरम में मौजूद हैं बिना दुकानदार की दुकानें
जब आप भारत के मिजोरम राज्य में जाएंगे, तो इसकी राजधानी आईजोल से 11 किलोमीटर से दूर सेलिंग में सड़क किनारे आपको कई दुकानें बिना दुकानदार के मिल जाएंगी। यह दुकानें ज्यादा बड़ी नहीं, बल्कि छोटी-छोटी लकड़ी के खोखो के रूप में देखने को मिलेंगी।
दुकानों में रखा रहता है सामान
मिजोरम की इन दुकानों में कोई भी दुकानदार नहीं होता है। हालांकि, यहां अलग-अलग दुकान पर जरूरत का सामान रखा रहता है, जिसमें फल से लेकर सब्जियां तक मौजूद होती हैं।
विश्वास पर करती हैं काम
दरअसल, यह दुकानें सिर्फ विश्वास पर चलती हैं। यदि सड़क से गुजर रहे किसी भी ग्राहक को कोई सामान चाहिए होता है, तो वह रूककर यहां दुकान से वह सामान ले लेता है और उसके दाम के हिसाब से उतने रुपये वहां रख देता है। लोगों के बीच यहां इतना विश्ववास है कि वह रुपया वही रहता है और सामान भी पूरा बिक जाता है। वहीं, जो दुकानदार हैं, वे अपने अन्य काम को संभालते हैं।
क्यों चल रही हैं इस प्रकार की दुकानें
दरअसल, मिजोरम में इस तरह की दुकानें चलने के पीछे वहां की संस्कृति है। यहां एक पुरानी संस्कृति है, जिसके तहत यहां इस तरह से बिना दुकानदार के दुकानें चलाई जा रही हैं। इस संस्कृति को यहां न्या ला डोर कहा जाता है। इस संस्कृति के तहत बिना दुकानदारों के दुकानें चलाने के प्रथा है।
न्यूजीलैंड में भी हैं इस तरह की दुकानें
आपको बता दें कि न्यूजीलैंड में भी इसी तरह की दुकानें होती हैं, जहां सड़क किनारे आपको बिना दुकानदार के दुकानें मिल जाएंगी। यहां दुकानों पर किसान अपनी फसलों को रख देते हैं। यह दुकानें भी सुनसान जगहों पर हैं, जहां आपको कोई नहीं देखता है। ऐसे में लोग यहां फसल के हिसाब से उनका दाम देते हैं और सामान लेकर चले जाते हैं।