यदि आपके मन में अपने लक्ष्य को पाने के प्रति प्रतिबद्धता है और आप कड़ी मेहनत करने से नहीं घबराते हैं, तो कोई भी आपको अपने लक्ष्य को पाने से नहीं रोक सकता है। इस बात का उदाहरण दिया है कि पश्चिम बंगाल की रहने वाली श्वेता अग्रवाल ने। मारवाड़ी रूढ़िवादी संयुक्त परिवार में पली बढ़ी श्वेता को 8 साल की उम्र में ही इस बात का आभास हो गया था कि केवल शिक्षा के बल पर ही आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बदला जा सकता है। अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध होकर श्वेता ने कड़ी मेहनत से UPSC सिविल सेवा की परीक्षा को तीन बार लगातार पास किया और 2015 में IAS अधिकारी बन अपने सपने को साकार कर दिया, लेकिन श्वेता की कहानी इतनी आसान नहीं थी। काफी संघर्षों के साथ उन्होंने अपने इस लक्ष्य को हासिल किया।
श्वेता का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। परिवार काफी बड़ा था, जिसमें करीब 28 सदस्य थे। पिता एक किराने की दुकान में काम करते और घर का खर्च चलाते थे। परिवार को पोते की चाहत थी, लेकिन श्वेता के रूप में बेटी हुई, तो श्वेता को नाराजगी का भी सामना करना पड़ता था। हालांकि, श्वेता के माता-पिता अपनी बेटी के समर्थन में हमेशा रहे और उन्हें पढ़ाने के लिए कभी पीछे नहीं हटे।
परिवार की आर्थिक हालत नहीं थी अच्छी
श्वेता का जब जन्म हुआ, तो परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी। आर्थिक तंगी के कारण बेटी को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाना मुश्किल था, लेकिन माता-पिता ने अपनी आर्थिक तंगी को पीछे रखते हुए बेटी का कोलकाता में सेंट जोसेफ स्कूल में दाखिला कराया। स्कूल जितना अच्छा था, उसकी फीस उतनी ही महंगी थी। स्कूल की महंगी फीस को भरने के लिए माता-पिता को अलग-अलग काम करने पड़े, जिससे बेटी की स्कूल फीस भरी जा सके। श्वेता के मुताबिक, परिवार में आर्थिक तंगी इतनी थी कि यदि घर में कोई रिश्तेदार रुपये के रूप में भेंट देते थे, तो वह इसे अपनी मां को दे देती थी, जिससे स्कूल की फीस भरी जा सके। इसी तरह अलग-अलग तरीकों से रुपये बचाकर स्कूल की फीस भरी गई।
परिवार में ग्रेजुएट होन वाली पहली शख्स
श्वेता के मुताबिक, स्कूल के बाद आगे का सफर भी आसान नहीं था। क्योंकि, जब स्कूल के बाद कॉलेज में दाखिला लेने की बारी आई, तो परिवार के सदस्यों ने कहा कि बेटी को जब आगे जाकर घर का काम ही करना है, तो बेटी को ज्यादा पढ़ाना ठीक नहीं है। हालांकि, श्वेता अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध थी और उन्होंने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में दाखिला लिया और आगे की पढ़ाई शुरू की। श्वेता अपने परिवार में पहली शख्स थी, जिन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया था। उन्होंने कॉलेज में मन लगाकर पढ़ाई पूरी की और न सिर्फ पढ़ाई पूरी की, बल्कि कॉलेज की टॉपर भी रही।
कॉलेज के बाद बड़ी कंपनी में लग गई थी नौकरी, लेकिन UPSC की तैयारी के लिए छोड़ी
कॉलेज से निकलने के बाद श्वेता की नौकरी बड़ी कंपनी Delloite में लग गई थी। हालांकि, उनका मन निजी नौकरी में न लगकर अपने सरकारी अफसर बनने के सपने में था। अपने इस सपने को पूरा करन के लिए उन्होंने निजी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। श्वेता के मुताबिक, जब उन्होंने अपना इस्तीफा मैनेजर को सौंपा, तो उनके मैनेजर ने उनसे सिविल सेवा के रिस्क को बताते हुए कहा था कि इस परीक्षा में हर साल लाखों बच्चे बैठते हैं और सैंकड़ों की संख्या में बच्चों को नौकरी मिलती है। ऐसे में सफलता का दर बहुत कम है। हालांकि, इस पर श्वेता का जवाब था कि उन्हें एक सिर्फ एक ही सीट चाहिए और वह इसके लिए कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं। नौकरी छोड़ने के बाद श्वेता ने एक कोचिंग संस्थान में दाखिला लिया, लेकिन कुछ समय बाद ही वह कोचिंग छोड़ घर आ गई और सेल्फ स्टडी के माध्यम से अपनी तैयारी को धार देना शुरू किया।
2013 में पहली और 2014 में दूसरी बार पास की परीक्षा
श्वेता अपनी तैयारी कर रही थी कि इस बीच उनके माता-पिता ने 2011 में आयोजित होने वाली सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए कहा। हालांकि, श्वेता इसके लिए तैयार नहीं थी और उन्होंने अपने माता-पिता के कहने पर परीक्षा को दे दिया, लेकिन वह परीक्षा में सफल नहीं हो सकी। इसके बाद श्वेता ने और कड़ी मेहनत से तैयारी की। साल 2013 में उन्होंने पूरी तैयारी की साथ UPSC की परीक्षा दी और 497वीं रैंक हासिल कर पहली बार सफलता का स्वाद चखा। सफल होने पर उनका चयन IRS सेवा के लिए हुआ। हालांकि, श्वेता अपनी इस सफलता से संतुष्ट नहीं हुई और उन्होंने IAS बनने की चाह में 2014 में फिर एक बार परीक्षा दी। इस साल उन्होंने 141वीं रैंक के साथ परीक्षा पास की। इस रैंक के साथ उन्हें पहली बार पुलिस की वर्दी पहने के साथ IPS के रूप में सेवा करने का मौका मिला। हालांकि, वह अभी भी संतुष्ट नहीं थी और अपने लक्ष्य को पाने के पीछे लगी रहीं। सेवा में चयन होने के बाद भी उन्होंने कड़ी मेहनत के साथ अपनी तैयारी को जारी रखा।
2015 में 19वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का पूरा किया सपना
IPS बनने के बाद उन्होंने एक बार और परीक्षा देने का फैसला लिया। इस बार उन्होंने Prelims, Mains व Interview के लिए और भी कड़ी मेहनत की और इस प्रयास में 19वीं रैंक हासिल कर ली। इस रैंक के साथ उनका चयन IAS सेवा में हो गया।