Vervet Monkey: बंदर बहुत ही शरारती होते हैं, जो शरारती हरकतों की वजह से जाने जाते हैं। यह लोगों के बीच भी पहुंच खाने-पीने की वस्तु खाते रहते हैं। भारत में बड़ी संख्या में बंदर हैं। वहीं, विदेशों में भी बंदरों की संख्या अधिक है। हाल ही में कैरिबियाई देश सिंट मार्टेन ने अपने यहां मौजूद वर्वेट बंदरों की पूरी जनसंख्या को खत्म करने का फैसला लिया है। इसके बाद से यह वन्यजीव प्रेमियों के बीच चिंता का विषय बन गया है। सरकार ने इसके लिए वहां की एक एनजीओ का चयन किया है। इस लेख के माध्यम से हम आपको पूरे मामले की जानकारी देंगे। जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
इसलिए लिया मारने का फैसला
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोग वहां के वर्वेट बंदरों से परेशान हो गए हैं। सिंट मार्टेन के किसानों का कहना है कि बंदर अक्सर उनकी फसलों तक पहुंच नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उनकी अजीविक प्रभावित हो रही है। ऐसे में लोगों ने सरकार से शिकायत की है।
तीन साल का तय किया गया है लक्ष्य
सरकार ने बंदरों का मारने के लिए वहां के एनजीओ नेचर फाउंडेशन सेंट मार्टेन का चयन किया है। एनजीओ को यह काम करने के लिए तीन साल का समय दिया गया है। इस बीच एनजीओ बंदरों को पकड़कर उन्हें मारने का काम करेगी। हालांकि, यह कार्य इस तरह से किया जाएगा, जिससे बंदरों को दर्द न पहुंचे।
वन्यजीव प्रेमियों ने जताया विरोध
सरकार के इस फैसले को लेकर कुछ वन्यजीव प्रेमियों ने विरोध जताया है। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि जानवरों को मारने के बजाय स्टरलाइजेशन या फिर न्यूट्रिंग कर बंदरों की जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
17वीं शताब्दी में पहुंचे थे कैरिबियाई देश
नेचर फाउंडेशन के प्रबंधक लेस्की हिकर्सन के मुताबिक, जब एक प्रजाति ऐसे क्षेत्र में अपनी आबादी को बढ़ा रही होती है, जहां की वह मूल प्रजाति नहीं होती है, तो उसे संरक्षित करना चाहिए। वर्वेट बंदर कैरेबियाई मूल का नहीं है। ऐसे में यहां बंदरों की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता है। इस प्रजाति के बंदरों को 17 वीं शताब्दी में कैरेबियाई देश में लाया गया था।
सफेद फर और काला होता है चेहरा
वर्वेट बंदर धब्बेदार भूरे-भूरे रंग के शरीर और सफेद फर के साथ काले चेहरे वाले होते हैं। दक्षिण अफ्रीका में वर्वेट मंकी फाउंडेशन के संस्थापक डेव डू टिट के मुताबिक, किसी प्रजाति को खत्म करना अच्छा निर्णय नहीं है। वह सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं, बल्कि बंदरों का संख्या को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी का विकल्प अपनाने के लिए कहते हैं।
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