उत्तराखंड में भारत-चीन की सीमा से लगा गाँव भारत का आखिरी गाँव कहलाता है. देश के इस आखिरी गाँव का नाम माणा है जो की बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है. माणा गाँव में संस्कृति की परिपक्वता देखकर लोग दंग रह जाते हैं साथ ही इस गाँव का प्राकृतिक दृश्य लोगों को अपनी ओर खींचने के लिए काफी है.
इस गाँव में अधिकाँश तौर पर रंडपा जाति के लोग रहते हैं. इस गाँव के बारे में पहले ज़्यादा लोग नहीं जानते थे लेकिन जब से यहाँ पक्की सड़कों का निर्माण हुआ है तब से इस जगह की जानकारी लोगों तक पहुंच गयी हैं.
उत्तराखंड की अंतिम सीमा पर स्थित
उत्तराखंड की सीमा पर स्थित यह गाँव उस दिशा में भारत का आखिरी गाँव है क्योंकि इसके बाद चीन की सीमा शुरू हो जाती है. ऐसा माना जाता है की यह गाँव प्राचीन कल से अस्तित्व में हैं क्योंकि इसका ज़िक्र त्रेतायुग से जुड़े सन्दर्भों में भी मिलता है.
इस गाँव का पौराणिक नाम मणिभद्र है.
गाँव माणा हिमालय की खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है और यह समुद्र तल से 19,000 फुट की ऊँचाई पर बसा हुआ है.
घरों में बनाई जाती है शराब
देश के इस आखिरी गाँव की यह खासियत सुनकर आप दंग रह जाएंगे. इस गाँव में लोग अपने घरों में ही शराब बनाते हैं और यह शराब चावलों से बनाई जाती है. ज्ञात हो की इस गाँव में मौजूद हर घर में यह शराब बनाई जाती है.
महज़ 60 घर हैं मौजूद
इस गाँव के बारे में ज़्यादातर लोगों को कुछ पता नहीं था शायद इसी कारण यहाँ अधिक लोग आकर नहीं बसे हैं . इस गाँव की आबादी बेहद कम है क्योंकि इस पूरे गाँव में केवल 60 घर हैं जो की लकड़ी के बने हुए हैं.
इस गाँव में रहने वाले लोग अपने घर के निचले स्तर पर जानवरों को रखते हैं और ऊपर ही तरफ यह लोग स्वयं रहते हैं.
जड़ी-बूटियों की होती है भरमार
माणा गाँव जड़ी-बूटियों के कारण काफी प्रसिद्ध है. इस गाँव में मिलने वाली जड़ी-बूटियों से कई तरह की बीमारियों से निजात पाई जा सकती है उदाहरण के लिए इस गाँव में ऐसी जड़ी-बूटी मिलती है जिसके द्वारा पथरी की बिमारी का इलाज किया जा सकता है.
आज भी बहती है सरस्वती नदी
वैसे तो सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी है लेकिन इस माणा गाँव में आज भी यह नदी बहती है. इस गाँव के आखिरी छोर पर चट्टानों के मध्य से एक झरना बहता हुआ दिखाई देता है जिसका पानी आगे चलकर अलकनंदा नदी में मिल जाता है. इस जगह को सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है.
माना जाता है की पांडव इसी गाँव से होते हुए स्वर्ग जा रहे थे उस दौरान उन्होंने सरस्वती नदी से रास्ता माँगा लेकिन उन्होंने देने से इंकार कर दिया जिस कारण भीम ने दो बड़ी-बड़ी चट्टानों को उठाकर नदी के ऊपर रख दिया और एक पुल का निर्माण किया. इस पुल को ही भीम पुल कहा जाता है.
हिंदुस्तान की आखिरी दुकान
One of the best selfie spots in India? An unmatchable slogan: “Hindustan ki Antim Dukan.” A cup of tea there is priceless. https://t.co/7dTxVlHwAG
— anand mahindra (@anandmahindra) February 9, 2022
माणा गाँव की मुख्य सड़क पर एक बोर्ड लगा हुआ है जहाँ लिखा हुआ है “हिंदुस्तान की आखिरी दुकान”. यह एक चाय की दुकान है जो की पूरे भारत में प्रसिद्द है इसके अलावा यहाँ मैगी भी मिलती है. इस चाय की दुकान के बारे में लोगों का कहना है की यहाँ का एक कप अमूल्य है.