इंसान के जीवन में पेड़-पौधों का महत्त्व बहुत अधिक है क्योंकि पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन के बिना इंसान के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. ऑक्सीजन देने के अलावा पेड़-पौधे जहाँ मौजूद होते हैं उस जगह के सौन्दर्य में चार-चाँद लगा देते हैं.
पेड़ों की ख़ूबसूरती उनके हरे-भरे पत्तों और फूलों से ही होती है और ऐसे हरे-भरे पेड़ों को देखना किसी पंसद नहीं होता लेकिन ज़रूर आपने इस बात पर गौर किया होगा की सर्दियां आते-आते पेड़ों की पत्तियाँ सड़-गल कर गिरना शुरू हो जाती हैं.
दरअसल पेड़ों की पत्तियाँ सर्दियों में नहीं बल्कि सर्दी के शुरुआत वाले समय में गिरती हैं जो की पतझड़ का समय कहलाता है.
क्यों गिरते हैं पतझड़ में पत्ते ![]()
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पौधों में एक ओक्सिन नामक हॉर्मोन मौजूद होता है जिसकी सहायता से पेड़ बढ़ते हैं. इसी हॉर्मोन के कारण पौधे सूर्य की दिशा में बढ़ते हैं जिससे की पत्ते अधिक से अधिक सूर्य के प्रकाश का अवशोषण कर पाते हैं और उनका विकास हो पाता है.
दरअसल सर्दियों में तापमान गिरने से ओक्सिन का उत्पादन कम हो जाता है जिससे की पत्तियों के ऊपर की विखंडन परत टूट जाती है और वह गिरना शुरू कर देती हैं.
पानी जमना भी एक कारण
तेज़ सर्दियों में जब पानी जमना शुरू हो जाता है तो पेड़ों को प्रकाश संश्लेषण के लिए ज़रूरत के हिसाब से पानी नही मिल पाता जिस कारण पत्तियाँ का कोई इस्तेमाल नहीं बचता और पेड़ अपनी पत्तियाँ गिराकर अपनी ऊर्जा बचाते हैं
पतझड़ में क्यों बदलते हैं पत्ते अपना रंग ![]()
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ज्ञात हो की पेड़ों की पत्तियां गिरना मौसमी विकास चक्र का एक तार्किक अंत होता है जिसके कारण पेड़ सर्दियों में सफलतापूर्वक जीवित रह पाते हैं.
सभी जीवित प्राणियों को जिंदा रहने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है इसी तरह पेड़ों को भी जीवित रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है. पेड़ों को क्लोरोफिल की बहुत अधिक आवश्यकता होती है लेकिन पत्तियों में क्लोरोफिल के अलावा लाल- पीले पिगमेंट्स भी मौजूद होते हैं. गर्मी व बसंत में धूप के कारण क्लोरोफिल से आने वाला हरा रंग इन दोनों रंगों पर भारी रहता है लेकिन पतझड़ और सर्दियों के मौसम में क्लोरोफिल तने और जड़ में जाना शुरू हो जाता है जिस कारण पत्तियों का रंग लाल और पीला दिखाई देता है.