By Mahima Sharan18, Sep 2023 01:19 PMjagranjosh.com
बच्चों का मन
यह बात बिल्कुल सच है कि बच्चों का मन गीली मिट्टी की तरह होता है। इसलिए उनके आस-पास की चीजों का प्रभाव बचपन से ही उनके दिमाग पर पड़ना शुरू हो जाता हैं।
मेंटल हेल्थ
अभिभावक और टीचर के तौर पर ये जानना बेहद ही जरूरी है कि आखिर वे कौन सी बातें है जिसने बच्चों का मेंटल हेल्थ प्रभावित होता है और आगे जाकर परेशानी खड़ी कर सकता है।
कम्पटीशन
कोई भी बच्चा एक प्रकार का नहीं होता है। सभी के अलग-अलग सोच समक्षने की क्षमता होती है ऐसे में इस कॉम्पटिशन के दौर ने बच्चों के दिमाग पर बचपन से ही प्रेशर डालना शुरू कर दिया है।
फैमिली गाइडेंस खत्म
12वीं के बाद ज्यादातर बच्चे बड़े-बड़े कॉम्पिटिटिव परीक्षा की तैयारी में जुड़ जाते हैं और उस दौरान फैमिली गाइडेंस खत्म होने लगता है और बच्चे अपनी मन की बाते छुपाना शुरू कर देते हैं।
परिवार की उम्मीदे
भारत में ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों से उम्मीदे जताना शुरू कर देते हैं। जिसके बाद बच्चे इन उम्मीदों के तले दबते जाते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
दूसरों के सपने पूरा करना
ज्यादातर बच्चे अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के लिए कोर्स चुन लेते हैं, लेकिन पेरेंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि बच्चों के सपने ऑफ द फील्ड भी हो सकते हैं।
समाज का डर
आज के दौर में सबसे बड़ी बेडिया समाज है। ऐसे में बच्चों और अभिभावकों के मन में हमेशा यह डर बना रहता है कि अगर परीक्षा में कम नंबर आएगा तो लोग क्या कहेंगे, लेकिन बच्चों के मन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी
इस कंपटीशन के दौर में बच्चे अपने आप पर खास कर अपने शरीर पर ध्यान नहीं देते, लेकिन शायद उन्हें पता नहीं है कि फिजिकल एक्टिविटी की कमी से मानसिक तनाव बढ़ता है।
कम्युनिकेशन की कमी
इस गला काट कॉम्पटिशन के दौर में किसी के पास भी एक दूसरे के लिए समय नहीं है, जिससे असकर बच्चे अपनी मन की बात किसी से शेयर नहीं कर पाते हैं और इसका बेहद ही बुरा प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
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