By Mahima Sharan14, Apr 2025 12:20 PMjagranjosh.com
भीमराव अंबेडकर
भीमराव आंबेडकर केवल संविधान के निर्माता नहीं बल्कि सामाजिक न्याय के पैरवीकार भी है। बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। उन्होंने अपना पूरा जीवन पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय दिलाए, समाज में एकता लाए, भेदभाव कम करने में गुजार दिया। आज उनके जयंती पर हम उसके जीवन से जुड़े कुछ खास किस्से आपको बताने जा रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन
भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ था। वे एक गरीब और अछूत परिवार से नाता रखते थे, जिसे उस दौरान छुआछूत का सामना करना पड़ता था। हालांकि बावजूद इसके उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी।
शिक्षा
अंबेडकर बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे, लेकिन छोटी जाती से आने के कारण उन्हें कदम-कदम पर सामाजिक दबाव और परेशानी झेलनी पड़ी। हालांकि उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और मुंबई के एल्फिंस्टन स्कूल में पढ़ने वाले पहले दलित छात्र बनें। साल 1913 में उन्होंने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया और 1916 में रिसर्च कार्य के लिए सम्मानित किए गए।
आगे की पढ़ाई
बाद में वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ने गए, लेकिन स्कॉलरशिप खत्म हो जाने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। भारत उन्होंने मुंबई के सिडनेहॅम कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में काम किया। बाद में उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री की डिग्री हासिल की और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की।
संघर्ष
अंबेडकर की जिंदगी संघर्षों से भरी हुई थी, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन असमानता के खिलाफ लड़ाई और दलितों को न्याय देने में बिता दिया।
राजनीतिक उपलब्धियां
अंबेडकर का नाम भारत के इतिहास के पहले कानून मंत्री के तौर पर दर्ज हुआ। बाबा साहेब दो बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए।
भीमराव आंबेडकर हमेशा दूसरों के लिए आवाज उठाए आए हैं। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ