ये 5 प्राचीन गुरुकुल तकनीकें बढ़ाएंगी बच्चों का कौशल


By Mahima Sharan30, Aug 2024 04:25 PMjagranjosh.com

प्राचीन गुरुकुल तकनीकें

पहले जमाने में बच्चे पढ़ने के लिए गुरुकुल जाते थें। गुरुकुल की पढ़ाई बेहद ही पारंपरिक और जड़ों से जुड़ी हुई थी, यही कारण है कि उस समय के छात्र बुद्धिमान हुआ करते थें। वहीं, इस मॉडर्न जमाने में पढ़ाई पूरी तरह से बदल गई है। यहां कुछ प्राचीन गुरुकुल तकनीकों के बारे में बताएंगे गए हैं-

याद रखने पर ज़ोर

गुरुकुलों में, याद रखना बहुत ज़रूरी है। छात्र शास्त्रों, भजनों, कविताओं और ग्रंथों को याद करते हैं, जिससे मानसिक अनुशासन और जानकारी को बनाए रखने में मदद मिलती है।

सामुदायिक जीवन

गुरुकुलों में, छात्र गुरु के मार्गदर्शन में एक साथ रहते हैं, जिससे सहयोग बढ़ता है। यह सामुदायिक जीवन निरंतर सीखने और विकास में मदद करता है।

मौखिक परंपरा

गुरुकुलों में, सीखना ज्यादातर मौखिक होता है, जिसमें गुरु कहानी सुनाने, चर्चा करने और प्रत्येक छात्र की क्षमताओं के अनुसार पर्सनल लैक्टर के माध्यम से ज्ञान बांटा करते हैं।

एक्सपेरिमेंटल लर्निंग

गुरुकुल में एक्सपेरिमेंट के साथ सीखने पर ज़ोर दिया जाता है, जिसमें कॉन्सेप्ट को प्रैक्टिस के साथ जोड़ा जाता है।

गुरु-शिष्य संबंध

 प्राचीन गुरुकुल टेक्निक गुरु-शिष्य संबंध पर केन्द्रित है, जो आपसी सम्मान, विश्वास और भक्ति पर आधारित है। गुरु द्वारा चीजें सिखाई जाती थी और छात्र पूरी निष्ठा के साथ उसे अपने जीवन में उतारते थें।

इस प्राचीन गुरुकुल टेक्निक से आप भी खुद को बुद्धिमान बना सकते हैं।  शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ

मजबूत मानसिकता रखने वाले लोगों में होते हैं ये 10 गुण