एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में मिलती है जॉब की ढेरों अपॉर्चुनिटी
By Mahima Sharan10, May 2024 05:10 PMjagranjosh.com
बचपन का सपना
अगर बचपन में आपका दिल आसमान में उड़ते हुए विमान को देखकर रोमांचित हो जाता था और आप उसके पीछे दौड़ते थे, तो शायद बड़े होने के बाद आप इसके बारे में बेहतर तरीके से जानने की कोशिश कर रहे हैं।
नई टेक्नोलॉजी
यदि हां, तो एयरोनॉटिक इंजीनियरिंग का क्षेत्र आपके लिए है। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का क्षेत्र इंजीनियरिंग का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। इसमें करियर निर्माण की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके तहत नागरिक उड्डयन, अंतरिक्ष अनुसंधान, रक्षा प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में नई टेक्नोलॉजी का विकास किया जाता है।
एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विमान ऑपरेटर की तकनीक और मशीनों के पढ़ाई, डिजाइन और रखरखाव से संबंधित कार्य शामिल हैं। इंजीनियरिंग छात्रों को मिलेट्री एयरक्राफ्ट, मिसाइलों और अंतरिक्ष यान के निर्माण, डिजाइन, टेंटिंग के बारें ट्रेनिंग दिया जाता है।
योग्यता
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के लिए अभ्यर्थी की फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स पर बहुत मजबूत पकड़ होनी चाहिए। साथ ही इस कोर्स के लिए आवेदन करने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
पात्रता
10वीं और 12वीं कक्षा के बाद 3 साल का का डिप्लोमा कोर्स, 12वीं कक्षा के बाद 4 साल का एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई और बी.टेक और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन शामिल है।
कैरियर के अवसर
एयरोनॉटिकल इंजीनियरों को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा मंत्रालय में आसानी से नौकरी मिल सकती है। इसके अलावा एयरोस्पेस इंजीनियर संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूके और जर्मनी जैसे देशों में भी नौकरी पा सकते हैं।
सैलरी पैकेज
शिक्षा के बाद एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर का शुरुआती वेतन लगभग 20 से 50 लाख रुपये प्रति वर्ष माना जाता है, जो उम्मीदवार के अनुभव, कौशल और संगठन पर निर्भर करता है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियर का कोर्स आपका भविष्य बदल सकता है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ