भारतीय गणितज्ञ और उनकी खोज
By Priyanka Pal
23, Dec 2022 10:57 AM
jagranjosh.com
शून्य के आविष्कार का श्रेय भारतीयों को जाता है जो कि सभी योगदानों से अधिक है।
400 CE &और 1500 CE के बीच की अवधि को भारतीय गणित के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है।
आर्यभट्ट को प्राचीन काल से खगोलविज्ञान का गणितज्ञ माना जाता है। उन्होंने पृथ्वी के गोलाकार अपने धुरी पर घूमने और एक साल में 365 दिन होने की खोज की थी।
उन्होंने वर्ग और घनमूलों को हल करने क लिए दशमलव संख्या प्रणाली का उपयोग किया।
ब्रह्मगुप्त ने शून्य की खोज करते हुए यह साबित किया कि शून्य का अर्थ कुछ भी नहीं है इसके साथ ही उन्होंने चक्रीय चतुर्भुज के लिए गणितीय सूत्र दिया।
श्रीनिवास रामानुजन को इन्फिनिटी की खोज करने वाले के रूप में जाना जाता है साथ ही उन्होंने यूलर के स्थिरांक के मूल्य की गणना के लिए जाना जाता है।
पी.सी महालनोबिस को सांख्यिकी के पिता के रूप में जाना जाता है।
सी आर राव को अनुमान सिद्धांत, बायोमेट्री, सांख्यिकीय अनुमान और कार्यात्मक समीकरणों के क्षेत्रों में योगदान के लिय जाना जाता है।
डी आर कापरेकरी ने कापरेकर नाम के स्थिरांक की खोज के लिए जाना जाता है।
भास्कर को मध्यकाल के गणितज्ञ के रूप में जाना जाता है उन्होंने डिफरेंशियल गुणांक और डिफरेंशियल कैलकुलस तैयार किया था।
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