गोस्वामी तुलसीदास के इन दोहों का है बेहद गहरा अर्थ
By Mahima Sharan11, Aug 2024 01:21 PMjagranjosh.com
तुलसीदास के दोहे
महान कवि-संत गोस्वामी तुलसीदास को उनके सरल लेकिन शक्तिशाली दोहों के लिए जाना जाता है। इसलिए यहां उनके कुछ प्रेरक विचार दिए गए हैं-
सुख उपजत चाहूं ओर। वशीकरण इक मंत्र है, परिहरु बचन कठोर॥
तुलसीदास सलाह देते हैं कि दयालुता से बोलने से हमारे आस-पास के सभी लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कठोर वचनों से बचना चाहिए क्योंकि वे नुकसान और नकारात्मकता पैदा करते हैं।
धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। अपद काल परखिए चारी॥
तुलसीदास हमें याद दिलाते हैं कि धैर्य, धार्मिकता, मित्रता और रिश्तों के सच्चे गुण चुनौतीपूर्ण समय के दौरान ही सामने आते हैं।
दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।
यह दोहा जीवन में करुणा बनाए रखने के महत्व पर जोर देता है, क्योंकि यह धार्मिकता का आधार है, जबकि अभिमान पापपूर्ण व्यवहार की ओर ले जाता है।
पराधीन स्वप्नहु सुख नहीं।
तुलसीदास स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के मूल्य पर जोर देते हैं। निर्भरता, चाहे दूसरों पर हो या भौतिक संपत्ति पर, दुख की ओर ले जाती है।
समरथ को नहीं दोष गुसाईं।
तुलसीदास बताते हैं कि जो लोग शक्तिशाली और सक्षम हैं वे अक्सर निंदा से परे होते हैं, और वे आसानी से और बिना किसी दोष के चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
हर बच्चे को तुलसीदास के इन दोहों को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ
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