By Priyanka Pal15, Nov 2024 06:00 AMjagranjosh.com
स्वर्ण मंदिर
अमृतसर में स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण 1588 में गुरु अर्जन देव ने इसकी आधारशिला रखी थी और 1604 में उन्होंने आदि ग्रंथ नामक पवित्र ग्रंथ को यहां स्थापित किया था।
मणिकारण साहिब
मणिकरण साहिब या गुरुद्वारा श्री नारायण हरि मणिकरण में स्थित है। जो कुल्लू से लगभग 45 किलोमीटर दूर है। कई बार इस गुरुद्वारे को ध्वस्त किया गया।
हेमकुंड साहिब
हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। जो दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद साहिब को समर्पित है। हर साल यहां कई श्रद्धालु आते हैं और यह भारत में सबसे अधिक पूजनीय मणिकरण साहिब या गुरुद्वारा है।
गुरुद्वारा बंग्ला साहिब
17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच गुरु हर कृष्ण जी की याद में किया गया था। वे 1644 में यहां रुके थे, जब दिल्ली चिकन पॉक्स और हैजा महामारी की चपेट में थी।
सीस गंज गुरुद्वारा
नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर का वर्ष 1675 में इसी गुरुद्वारे में सिर कलम किया गया था। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिन्हें औरंगजेब के आदेश पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
गुरुद्वारा पौंटा साहिब
यह वह स्थान है जहां गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र दशम ग्रंथ लिखा था। ऐसा माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने यहां एक आभूषण खो दिया था जिसे वे अपने पैर में पहनते थे।
तख्त श्री पटना साहिब
यह गुरु गोबिंद सिंह का जन्म स्थान है और उन्होंने अपने जीवन के कई साल यहीं बिताए थे। गुरुद्वारा का निर्माण गुरु गोबिंद सिंह की याद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1780 में करवाया था।
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