साहित्य में 'चकोर पक्षी' का जिक्र क्यों किया गया?


By Priyanka Pal27, Mar 2025 06:00 AMjagranjosh.com

साहित्य में चकोर पक्षी का जिक्र क्यों किया गया

चकोर पक्षी के बारे में कवियों, शायरों और गीतकारों ने खूब लिखा है। कवियों ने चांद व चकोर को प्रेम के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया है।

चकोर पक्षी

चकोर दिखने और स्‍वभाव में तीतर जैसा पक्षी है। ये 4,000 से 13,000 फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में पाए जाते हैं।

चकोर प्रेम का प्रतीक

चकोर प्रेम का प्रतीक है और कभी इसे चंद्रमा के प्रति प्रेम के प्रतीक के तौर पर चांद को घूरते हुए चित्रित किया जाता है।

पौराणिक तीतर

चकोर हिंदू पौराणिक कथाओं में एक पौराणिक तीतर था, जिसके बारे में माना जाता था कि वह चंद्रमा की किरणों में रहता था और सौभाग्य का प्रतीक था।

पाकिस्‍तान का राष्ट्रीय पक्षी

लिहाजा, चकोर के चांद के प्रति प्रेम को देखते हुए इसे पाकिस्‍तान का राष्‍ट्रीय पक्षी मान लिया गया है।

हिंदू राजाओं के घरों में पक्षी

चकोर पक्षी को कई हिंदू राजा खाना खाते समय इसे अपने नजदीक ही बैठाते थे। खाने-पीने की सामग्री की परीक्षा के लिए हिंदू राजा चकोर को पालते थे ।

चंद्रमा का एकांत

चकोर कवि की काल्पनाओं के हिसाब से चंद्रमा की किरणों को पीकर जीवित रहता है। मान्‍यता है कि चकोर चंद्रमा का एकांत प्रेमी है और रातभर उसे एकटक देखता है।

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