By Priyanka Pal12, Jan 2023 04:24 PMjagranjosh.com
जोशीमठ उत्तराखंड गढ़वाल के पैनखंड़ा परगना में समुद्र की सतह में 6107 फीट की ऊंचाईयों पर बसा एक छोटा सा नगर है।
जिसकी उत्पत्ती का श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है जिन्होंने वेदांत दर्शन के प्रचार प्रसार का काम किया और अपने अनुयायियों के लिए ज्योतिर्मठ का निर्माण किया।
आदि शंकराचार्य ने शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर दिव्य ज्ञान प्राप्त किया।
जोशीमठ के पहाड़ों की अपनी अलग महत्ता है जिसकी कल्पना गढ़वान में जन्मे कवि और पत्रकार शिवप्रसाद जोशी ने अपनी कविता में लिखी है।
इस हिमालयी भूभाग पर लंबे समय तक राज्य करने वाले कत्यूरी शासकों की पहली राजधानी भी यहीं ज्योतिर्धाम कहलाती थी।
बीसवीं सदी में जोशीमठ का पर्यटन के क्षेत्र में महत्व बढ़ा इस मायने में यह महत्वपूर्ण जगह बन गई।
जोशीमठ से होकर फूलों की घाटी का और हेमकुंड का रास्ता यहीं से जाता है।
तिब्बत से नज़दीक होने के कारण स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने यहां अनेक सैनिक बलों को तैनात किया।
यह ऐतिहासिक नगर बेहद प्राचीन भूस्खलन के परिणामस्वरूप इकठ्ठा हुए मलबे के ढेर से बना है जो वर्तमान में नीचे की ओर ढंसता जा रहा है।