अगर समझ लिए कबीर के इन दोहों का अर्थ, तो संवर जाएगी जिंदगी


By Mahima Sharan25, Nov 2024 04:45 PMjagranjosh.com

कबीर के दोहे

हम बचपन से ही संत कबीर के दोहे पढ़ते आए हैं, लेकिन क्या आप उन दोहों का मतलब जानते हैं। संत कबीर के दोहों में जीवन के बड़े राज छिपी है, जो आपके जीवन को पूरी तरह से बदल सकती हैं। आइए आज कबीर के दोहों का अर्थ समझते हैं-

चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए

कबीर दास कहते हैं कि चिंता ऐसी डायन है, जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर खोखला बना देती है। चिंता करने से बेहतर है कि आप उसका इलाज ढूंढे।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर

संत कबीर का कहना है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप कितने बड़े व्यक्ति बन चुके हैं। अगर आपके स्वभाव में विनम्रता और दूसरों के प्रति सहानुभूति नहीं हैं, तो आपके बड़े होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय

संत कबीर के अनुसार केवल बड़ी-बड़ी किताबें पढ़कर ही कुछ नहीं होता है। आज दुनिया में ऐसे कई सारे लोग है, जिसने कई किताबें पढ़कर भी जीवन में कुछ हासिल नहीं किया है। यहां कोई भी ज्ञानी नहीं बन सका।

निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय

कबीर दास के अनुसार  जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने और पास ही रखना चाहिए।

ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए

संत कबीर के अनुसार मनुष्य को हमेशा ही मीठी वाणी बोलनी चाहिए। व्यक्ति की वाणी ऐसी होनी चाहिए कि वे अपने साथ-साथ दूसरों का मन भी प्यार से भर दें।

कबीर के इन दोहों में जीवन के बड़े-बड़े ज्ञान छिपी हैं। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ

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