क्रांति की प्रेरणा और विद्रोह की सूत्रधार थीं सुभ्रद्रा कुमारी
By Priyanka Pal16, Feb 2024 12:36 PMjagranjosh.com
सुभ्रद्रा कुमारी की पुण्यतिथि
सुभ्रद्रा कुमारी चौहान ने आजादी की लड़ाई लड़ी इसी के साथ उन्हें सत्याग्रह आंदोलन में दिए गए अपने योगदान के लिए जाना जाता है। आज के दिन देश में उनकी 76वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है।
कौन थी सुभ्रद्रा कुमारी चौहान ?
उनके द्वारा लिखी गई उन दिनों की कविताएं झांसी की रानी इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवन काल में कई रचनाओं को लिखा। जिसे लोग आज के समय भी उन्हें पढ़ते हैं। उन्होंने सबसे पहली कविता सिर्फ 9 साल की उम्र में लिखी थी।
रचानओं और आंदोलनों में हिस्सा लिया
सुभ्रद्रा कुमारी ने अपनी कविताओं के जरिए स्वतंत्रता के भाव को जगाने का काम किया। इसके साथ आजादी के समय में अहम भूमिका निभाती नजर आई थीं। 1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन शुरू किया था।
कांग्रेस कमेटी की सदस्य
असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ली थी। कहा जाता है जब सुभद्रा महात्मा गांधी से मिली थी, तब उनका देश के लिए भक्ति प्रेम और उभर गया था।
बचपन
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निहालपुर गांव में हुआ था। उन्होंने 8वीं तक पढ़ाई की थी। स्कूल के रास्ते आते – जाते तांगे पर बैठकर वे कविताओं की रचना कर लिया करती थी।
रचनाएं
उनकी कविता संग्रहों के नाम मुकुल और त्रिधारा हैं। कहानी संग्रह- पंद्रह कहानियों वाली बिखरे मोती। 1932 व 1934 में प्रकाशित 9 कहानियों वाली उन्मादिनी 1947 में प्रकाशित 14 कहानियों वाली सीधे सादे चित्र रहे हैं। इसी के साथ उन दिनों महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव के प्रति भी काफी कुछ लिखा।
साहित्य सम्मान
उन्होने अपनी रचना मुकुंद और बिखरे मोती के लिए केसरिया पुरस्कार जीता। भारतीय डाक विभाग ने 1976 में सुभद्रा के नाम पर डाक टिकट जारी किया था।
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