Bishnoi Village : यहां परंपराओं से होता है प्रकृति का मिलन
By Priyanka Pal28, Oct 2024 01:24 PMjagranjosh.com
राजस्थान का बिश्नोई गांव प्रकृति की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। आज इस वेब स्टोरी में जानिए इस गांव रहने वाले बिश्नोई समुदाय के लोगों के बारे में।
बिश्नोई समुदाय
राजस्थान के बिश्नोई गांव में बिश्नोई समुदाय रहता है, जिसका इतिहास 500 साल पुराना है। जिसमें बिश यानी 20 और नोई माने 9 क्योंकि इस समाज के 29 रूल है जो इसे प्रकृति से जोड़ने का काम करते हैं।
इतिहास
बिश्नोई समुदाय से ही अमृता देवी आती हैं, चिपको आंदोलन को पहला नारीवादी पर्यावरण आंदोलन माना जाता है जो 1970 के दशक में भारत में पेड़ों और वन क्षेत्रों को वनों की कटाई से बचाने के लिए शुरू हुआ था।
मान्यता
बिश्नोई समुदाय के बारे में एक और दिलचस्प बात ये भी है कि, हिंदू देवता विष्णु की पूजा करते हैं और ये शाकाहारी होते हैं।
संस्थापक
यहां के लोग गुरु जम्भेश्वर के नक्शेकदम पर चलते हैं, जो एक दूरदर्शी संत और बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक कहे जाते हैं।
सख्त नियम
यहां के लोग वन्य जीवों की रक्षा के लिए जाने जाते हैं, यहां के नियम बड़े सख्त हैं, क्योंकि हरे पेड़ों को काटना यहां कानून के खिलाफ माना जाता है।
बुनाई
बिश्नोई समाज बुनकरों का गांव है, यहां लोग प्राचीन बुनाई की तकनीकों का इस्तेमाल कर दरियां बनाने का काम करते हैं।
महत्वपूर्ण पेड़
यह समुदाय वन्य जीवों से लेकर प्रकृति को बचाने का काम करता है, यहां खासतौर से खेजड़ी के पेड़ को बहुत महत्व दिया जाता है।
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