By Gaurav Kumar29, Jul 2022 05:10 PMjagranjosh.com
खिलाडिय़ों द्वारा अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कुछ प्रतिबंधित सप्लीमेंट्स और एनर्जी ड्रिंक का प्रयोग करते है यह शॉर्टकट लेना डोपिंग कहलाता है।
इसे कोई भी खिलाड़ी लिक्विड फॉर्म में इंजेक्शन के रूप में या प्रतिबंधित पाउडर खाकर या उसे पानी में घोलकर ले सकता है। इसे खाने-पीने की चीज में मिला कर भी लिया जा सकता है।
डोपिंग में आने वाली दवाओं को पांच अलग-अलग श्रेणी में बांटा गया है। स्टेरॉयड, पेप्टाइड हॉर्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग।
अंतरराष्ट्रीय खेलों में ड्रग्स के बढ़ते चलन को रोकने के लिए वाडा की स्थापना 10 नवंबर, 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में की गई थी।
खिलाडिय़ों के दोषी पाए जाने पर &उन को 2 साल सजा से लेकर आजीवन पाबंदी तक सजा का प्रावधान है।
किसी भी खिलाड़ी का किसी भी वक्त डोप टेस्ट लिया जा सकता है। यह नाडा या वाडा या फिर दोनों की ओर से किए जा सकते हैं।
इसके लिए खिलाड़ियों के मूत्र के सैंपल लिए जाते हैं। नमूना एक बार ही लिया जाता है। पहले चरण को ए और दूसरे चरण को बी कहते हैं। ए पॉजीटिव पाए जाने पर खिलाड़ी को प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
भारत में पहली बार डोपिंग नाम के जिन्न का खुलासा साल 1968 &में हुआ।ट्कृपाल सिंह 10 हजार मीटर दौड़ में भागते समय ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गए, उनके मुंह से झाग निकलने लगा और वह बेहोश हो गए। जांच में पता चला कि कृपाल सिंहब ने नशीला पदार्थ के सेवन किया था।
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