By Mahima Sharan05, Feb 2025 03:19 PMjagranjosh.com
भगवत गीता के श्लोक
भगवद गीता को आध्यात्मिक ग्रंथ के रूप में माना जाता है। हालांकि, बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि यह एक स्वस्थ दिमाग विकसित करके एक सार्थक जीवन जीने में एक गीता सही राह दिखाती है। आज हम आपके लिए गीता के कुछ श्लोक लेकर आए हैं, जो आपके उदास मन को खुशियों से भर देंगे-
बिना किसी अपेक्षा के काम करें
भगवद-गीता 2.47: आपको अपने निर्धारित कर्तव्यों को पूरा करने का अधिकार है, लेकिन आप अपने कर्मों के फल के हकदार नहीं हैं। अपने आप को कभी भी अपने कार्यों के परिणामों का कारण न समझें, न ही निष्क्रियता से आसक्त हों।
खुद के प्रति सच्चे रहें
भगवद-गीता 3.35: किसी दूसरे के कर्तव्यों को पूरी तरह से निभाने की अपेक्षा, भले ही वह त्रुटिपूर्ण हो, अपने निर्धारित कर्तव्यों का निर्वहन करना कहीं बेहतर है। अपने स्वयं के कर्तव्यों का पालन करते समय विनाश दूसरे के कर्तव्यों में संलग्न होने से बेहतर है, क्योंकि दूसरे के मार्ग का अनुसरण करना खतरनाक है।
नियमित ध्यान
भगवद-गीता 6.20: ध्यान का अभ्यास व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्त करता है। यह योग का मार्ग है। दृढ़ संकल्प और निरंतर उत्साह के साथ इसका पालन करें। सभी स्वार्थी इच्छाओं और अपेक्षाओं को पूरी तरह से त्याग कर, अपनी इच्छाशक्ति का उपयोग करके इंद्रियों को नियंत्रित करें।
संयम में जीवन जीना सीखें
दैनिक जीवन में जो महत्वपूर्ण है, उसे न तो बहुत ज्यादा करें और न ही बहुत कम करें। पर्याप्त भोजन करें। पर्याप्त नींद लें। पर्याप्त बोलें। व्यायाम के साथ, पर्याप्त परिश्रम करें। ध्यान के साथ, पर्याप्त अभ्यास करें। और काम करते समय, पर्याप्त काम करें।
गीता के ये श्लोक आपको प्रेरित रहने में मदद करेंगे। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ