Counterfactual Thinking : साइकोलॉजी के अनुसार ऐसी सोच करेगी मोटिवेट
By Priyanka Pal04, May 2024 11:33 AMjagranjosh.com
क्या आपने कभी सोचा है, काश मैंने कुछ अलग किया होता, तो रिजल्ट आज अलग होता। साइकोलॉजी के अनुसार, सिच्युएशन से अलग सोचने से हम खुद को और अपने आस-पास की दुनिया को कैसे देखते हैं?
सोचना
चीजें जिस तरह से घटित हो सकती थीं, उसकी एक अलग तरह से कल्पना करना। उस चीज़ के बारे में सोचना है जो वास्तव में घटित ही नहीं हुई इसे काउंटर फैक्च्युल थिंकिंग कहते हैं।
एजुकेशन
क्लास में कम मार्क्स आने से या असाइमेंट में अपेक्षा से कम ग्रेड प्राप्त हुआ हो। इसके बारे में सोचना यह आपको टाइम मैनेजमेंट को निखारने के लिए प्रेरित कर सकता है। जिससे आप नेक्ट टाइम अच्छा स्कोर प्राप्त कर सकते हैं।
नौकरी
अगर आप नौकरी पाते - पाते रह गए उसके बाद आप खुद को मोटिवेट करना शुरू कर देते हैं। अवसर छूटने के बाद की सोच आपको आगे के लिए प्रेरित करती है।
कम्यूनिकेशन
कई बार आपके कहे शब्दों दूसरों को लड़ाई करने के लिए मजबूर कर देते हैं। उसके बाद आपको जो प्रेरणा मिलती है वह यह कि अगली बारी से आप शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करेंगे।
फिटनेस
जब आप ज्यादा मोटे होने लगते हैं खुद को आईने में देखकर मिलने वाली प्रेरणा मिलने से आप फिटनेस के लिए सोचने लगते हैं। साइकोलॉजी के अनुसार ऐसी सोच रखना आपके लिए मोटिवेशन का काम करती है।
पछतावा
लगातार पछतावे की भावना रखने वाले व्यक्ति दिल के साफ होते हैं। यह भावना आपके निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ावा देती है।
निगेटिविटी
कई बार निगेटिव सोच आपको जीवन में निर्णय लेने की क्षमता को कम भी कर सकती है। जिससे आप गलत रास्ते या गलत फैसले ले लेते हैं।
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