संस्कृत के इन श्लोकों को समझ गए, सफल हो जाएगी जिंदगी
By Mahima Sharan04, Nov 2024 11:55 AMjagranjosh.com
सपनों को कैसे करते हैं सकार?
अपने सपनों को साकार करने और लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन बेहद ही जरूरी है, लेकिन इसके साथ-साथ मोटिवेशन भी बेहद जरूरी है। इसलिए यहां हम आपके लिए संस्कृत के कुछ श्लोक लेकर आए हैं। ये श्लोक आपको सफलता की शिखर तक पहुंचने में मदद करेंगे।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु....
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ भगवत गीता का यह बेहद ही लोकप्रिय श्लोक है। इसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि मनुष्य का अधिकार केवल कर्मों पर है, फल पर नहीं। इसलिए कर्म करों फल की चिंता मन करों।
उद्यमेन हि सिध्यन्ति.....
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:। यह श्लोक हमें बताती है कि केवल इच्छा करने से आपके काम नहीं होते हैं, इसके लिए आपको मेहनत भी करनी पड़ती है।
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य.....
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥ इस श्लोक का मतलब है उठो, जागों और अपने लक्ष्य को हासिल करों। बेशक रास्ता कठिन हो, लेकिन कठिन रास्ते पर चलकर ही सफलता मिलती है।
न चोरहार्य न राजहार्य.....
न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।। इस श्लोक के अनुसार विद्धा ही एक ऐसा धन है, जिसे कोई नहीं चुरा सकता न ही इस धन का बंटवारा किया जा सकता है। विद्या एक ऐसा धन है, जिसे बचा कर रखने से कोई फायदा नहीं है, बल्कि खर्च करने से यह बढ़ता है।
संस्कृत के ये श्लोक आपको हमेशा आगे बढ़ने में मदद करती है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ
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