Savitribai Phule Jayanti: जानें देश की पहली महिला टीचर की संघर्ष की कहानी
By Mahima Sharan03, Jan 2024 11:06 AMjagranjosh.com
सावित्रीबाई फुले
आज 3 जनवरी को भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती है। महाराष्ट्र में महिलाओं की शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव नयागांव में हुआ था।
दलित परिवार
उनका जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। सावित्री बाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने यह अविश्वसनीय उपलब्धि उस समय हासिल की जब महिलाओं के लिए शिक्षा प्राप्त करना तो दूर, घर से बाहर निकलना भी मुश्किल था।
एक सवाज सुधारक
सावित्रीबाई न केवल एक समाज सुधारक थीं, बल्कि वह एक दार्शनिक और कवयित्री भी थीं। उनकी कविताएं ज्यादातर प्रकृति, शिक्षा और जाति व्यवस्था के उन्मूलन पर केंद्रित थीं। ऐसे समय में जब देश में जाति व्यवस्था अपने चरम पर थी, उन्होंने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया।
महिलाओं के साथ भेदभाव
आज़ादी से पहले भारत में महिलाओं के साथ बहुत भेदभाव होता था। समाज में दलितों की स्थिति अच्छी नहीं थी। यदि महिला दलित होती तो यह भेदभाव और भी अधिक होता। जब सावित्री बाई स्कूल जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और शिक्षा हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष किया।
महिला सशक्तिकरण
सावित्रीबाई फुले का जीवन महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाई।
छोटी उम्र में शादी
जब वह महज 9 साल की थीं, तब उनकी शादी 13 साल छोटे ज्योतिराव फुले से कर दी गई। जब सावित्रीबाई फुले की शादी हुई तो वह अनपढ़ थीं। पढ़ाई के प्रति उनकी लगन देखकर ज्योतिराव फुले प्रभावित हुए और उन्होंने सावित्रीबाई को आगे पढ़ाने का फैसला किया।
जारी रखी आगे कि पढ़ाई
विवाह के समय ज्योतिराव फुले भी कक्षा तीन के छात्र थे, लेकिन तमाम सामाजिक बुराइयों की परवाह किए बिना उन्होंने सावित्रीबाई की पढ़ाई में पूरी मदद की। सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में शिक्षक प्रशिक्षण लिया और शिक्षिका बन गईं।