छात्रों के जीवन में उजियाला लाएंगी सावित्रीबाई फुले की ये बातें


By Mahima Sharan03, Jan 2025 04:09 PMjagranjosh.com

सावित्रीबाई फुले

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को हुआ था और उन्होंने समाज को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में। उन्हें भारत की सबसे सम्मानित महिला शिक्षिकाओं में से एक के रूप में जाना जाता है। सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन महिलाओं और अछूतों को शिक्षित करने में समर्पित कर दिया ताकि उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके। आज हम सावित्रीबातई फुले के कुछ प्रेरक विचार लेकर आए हैं।

आलस्य

आलस्य गरीबी का लक्षण है। यह ज्ञान, धन और सम्मान का दुश्मन है और आलसी व्यक्ति को इनमें से कुछ भी नहीं मिलता।

शिक्षा

शिक्षा के बिना एक महिला जड़ों या पत्तियों के बिना बरगद के पेड़ की तरह है। वह अपने बच्चों का भरण-पोषण नहीं कर सकती और खुद जीवित नहीं रह सकती।

शिक्षा की कमी

शिक्षा की कमी घोर पाशविकता के अलावा और कुछ नहीं है। ज्ञान प्राप्त करने के माध्यम से ही अपनी निम्न स्थिति को खो देता है और उच्च स्थिति को प्राप्त करता है।

ज्ञान

यदि आपके पास ज्ञान नहीं है, शिक्षा नहीं है, और आप उसके लिए लालायित नहीं हैं, आपके पास बुद्धि है लेकिन आप उसी पर काम नहीं करते, तो फिर आप मनुष्य कैसे कहला सकते हैं?

विद्या का अभाव

विद्या का अभाव घोर पाशविकता के अलावा और कुछ नहीं है। ज्ञान प्राप्ति के माध्यम से ही अपनी निम्न स्थिति को खोकर उच्च स्थिति को प्राप्त करता है।

जाति और धर्म

जाति और धर्म किसी के मूल्य को निर्धारित करने का मापदंड नहीं होना चाहिए। शिक्षा ही एकमात्र मापदंड होना चाहिए।

सावित्रीबाई फुले का पूरा जीवन महिलाओं के आत्म-सम्मान के लिए समर्पित रहा है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ

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