By Prakhar Pandey17, Feb 2023 12:21 PMjagranjosh.com
Solar Geoengineering
आइये जानते है कि आखिर सोलर जियो इंजीनियरिंग क्या होती हैं और इससे क्या होता हैं।
सोलर जियो इंजीनियरिंग
सोलर जियो इंजीनियरिंग एक प्रकार की क्लाइमेट इंजीनियरिंग है जिसमें मानव-जनित जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लिए सूर्य की रोशनी को बाहरी अंतरिक्ष में वापस ट्रांसफॉर्म किया जाएगा।
प्रयोग
इसका उपयोग ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए सूरज की गर्मी को हल्का कर उसे धरती पर कम से कम आने के लिए किया जाएगा।
सल्फर डाइऑक्साइड- SO2
सोलर इंजीनियरिंग की इस प्रक्रिया में वैज्ञानिक बड़े-बड़े बैलून के माध्यम से समतापमंडल(Stratosphere) में SO2 का छिड़काव किया जाएगा।
विकासशील देशों में प्रयोग
इसका तकनीक का प्रयोग सबसे पहले विकासशील देशों में किया जा रहा हैं। अमेरिका जैसे देश जो भारत के मुकाबले विकसित है और ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करते हैं उन्हें छोड़ इस प्रय
कमियां
इस तकनीक को लेकर कई सारे साइंटिस्ट अपना एतराज भी जता रहे हैं। उनका कहना है कि सल्फर डाइऑक्साइड के प्रयोग से ओजोन लेयर पर असर पड़ेगा।
फंडिंग
सोलर जियो इंजीनियरिंग की फंडिंग में ब्रिटिश एनजीओ डिग्रीज इनिशिएटिव भी लगभग 9 लाख डॉलर का योगदान कर रहा हैं।
रिसर्च
ऑक्सफोर्ड और हॉर्वर्ड समेत कुल 15 देश इस पर रिसर्च कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को ब्रिटिश एनजीओ के अलावा भी कई संस्थाओं द्वारा भरपूर फंडिंग मिल रही हैं।
मैक्सिको में बैन
मैक्सिको की सरकार ने इस प्रयोग को अपने देश में बैन कर दिया है उनका कहना है कि ये एटमॉस्फियर की परत को जहरीली कर देगी और असल में ये काफी खतरनाक हो सकती हैं।
क्यों है खतरनाक?
इस प्रयोग का विरोध कर रहे साइंटिस्ट का कहना है कि ये वायुमंडल में कुछ एरोसोल्स रहेंगे जिससे आसमान नहीं दिखेगा। SO2 अपने आप में एक जहरीली हवा है और इसके वातावरण में मिलने से सांस लेने में समस्या होगी।
साइंटिस्ट का दावा
मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साइंटिस्ट का दावा है कि इस तकनीक से धूप को परिवर्तित किया जाएगा जिससे सूखा और अकाल भी पड़ सकता हैं। ओजोन लेयर के पतले होने से कैंसर जैसी बीमारियां भी बढ़ेंगी
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