कोलकाता डॉक्टर केस में SC करेगी SUO MOTU, जानें क्या है मकसद


By Mahima Sharan21, Aug 2024 01:35 PMjagranjosh.com

बंगाल केस

बंगाल के कोलकाता में हुए ट्रेनी लेडी डॉक्टर केस ने पूरे भारत को दहशत में डाल दिया है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो सुनवाई की है।

एसटीएफ

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स यानी एसटीएफ का गठन किया है।

डॉक्टर भी रहेंगे शामिल

ये स्पेशल टास्क फोर्स कोर्ट की देखरेख में किया जाएगा, जिसमें डॉक्टर को भी शामिल किया जाएगा।

क्या होता है सुओ मोटो?

सुओ मोटो के लैटिन शब्द है, जिसका मतलब है स्वत: संज्ञान। इस एक्ट के तहत अदालत अपनी मर्जी से केस शुरू कर सकती है।

कब होता है यह फैसला?

कोर्ट यह फैसला तब लेती है, जब उन्हें यह लगता है भारत के नागरिकों के नैतिक अधिकार का हनन हो रहा है।

बिना याचिका के फैसले

इसके तहत सुप्रीम कोर्ट बिना किसी पक्ष के फॉर्मल तरीके से याचिका दायर किए बिना भी फैसला सुना सकती है।

कौन कर सकता है फैसला?

आर्टिकल 32 और 226 के अनुसार सुओ मोटो का फैसला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कर सकता है।

क्या है मकसद?

इस फैसले का असल मकसद है देश के नागरिकों को न्याय दिलाना। इसके तहत कोर्ट किसी भी सरकारी जांच एजेंसी से केस पर जांच करवा सकती है।

सुओ मोटो का मकसद भारतीयों को न्याय दिलाना है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ 

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