By Priyanka Pal29, Jan 2025 10:58 AMjagranjosh.com
चिनार के पेड़ों को मिलेगा आधार नंबर
जम्मू और कश्मीर में चिनार के पेड़ों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण परियोजना की शुरूआत की है। जिसे वृक्ष आधार का नाम दिया गया है। आगे जानिए इस परियोजना के बारे में पूरी जानकारी।
वृक्ष आधार
जिस तरह किसी व्यक्ति की पहचान के लिए आधार कार्ड बनाया जाता है, उसी तरह चिनार के पेड़ों को भी आधार नंबर उसकी पहचान करने के लिए दिया जाएगा।
जियो टैग
चिनार के पेड़ों को जियो टैग किया जाएगा, इसी के साथ एक QR भी वृक्षों को दिया जाएगा। जो 25 आधारों पर चिनार के पेड़ों के बारे में जानकारी देगा। इससे पेड़ों को ट्रेक करने में भी मदद मिलेगी।
उद्देश्य
वृक्ष आधार परियोजना का उद्देश्य यह है कि इससे चिनार पेड़ों को संरक्षित किया जाएगा और उनकी घटती संख्या पर नियंत्रण लगाया जाएगा।
पेड़ों को मिलेगी पहचान
इस परियोजना के तहत चिनार पेड़ों की संख्या का पता लगाया जाएगा और उनको एक यूनिक आइडेंटिटी दी जाएगी। ताकि पेड़ों को ट्रेक करना आसान हो सके।
चिनार पेड़
यह पेड़ ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है, जिसे ओरिएंटल प्लेन ट्री के नाम से भी जाना जाता है। यह पूर्वी हिमालय के विशिष्ट पेड़ हैं।
पेड़ को बड़े होने में कितने साल लगते हैं?
एक चिनार पेड़ को बड़े होने में 30 से 50 साल लगते हैं और पूरा आकार लेने में 150 साल लगते हैं। इसकी ऊंचाई 30 मीटर और चौड़ाई 10 से 15 मीटर तक होती है।
इतिहास
ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष को चिनार नाम मुगलों ने दिया था। मुगलों ने कश्मीर में चिनार वृक्षारोपण को फैलाया और जहांगीर ने डल झील के किनारे नसीम बाग के नाम से चिनार बगीचा स्थापित किया।
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