Valmiki Jayanti 2024: एक सलाह जिसने बदला वाल्मीकि का जीवन


By Mahima Sharan17, Oct 2024 12:11 PMjagranjosh.com

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकि को कौन नहीं जानता, वे इतिहास के सबसे चर्चित व्यक्ति हैं जिन्होंने रामायण लिखी हैं। सिर्फ इतना ही नहीं माता सीता के वनवास के दौरान वाल्मीकि ने ही उन्हें शरण दी थी और उनके पुत्र लव और कुश को शिक्षा दी।  

कभी डाकू हुआ करते हैं महर्षि

हम सभी उन्हें एक महान ऋषि के रूप में देखते है। ऐसे में शायद यह सुनकर हैरानी हो कि ऐसा इंसान कभी एक लुटेरा या डाकू भी रहा होगा। वाल्मीकि का नाम पहले रत्नाकर हुआ करता था, जो रास्ते से गुजरने वालों को लूटने के लिए घात लगा कर बैठे रहते थे।

नारद के एक सवाल ने बदला जीवन

रत्नाकर नाम का डाकू राह से गुजरने वालों का संपत्ति को जबरन छीनने का काम करता है और इसी दौरान उनकी मुलाकात नारद मुनि से हुई, जिन्होंने उनका पूरा जीवन ही बदल दिया। आइए जानते हैं आखिर वो क्या बात थी, जिसने वाल्मीकि के सोचने के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया।

जब नारद से हुई रत्नाकर की मुलाकात

एक समय की बात है जब नारद मुनि के सामने अचानक से रत्नाकर आकर खड़ा हो गया और उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश करने लगा, लेकिन रत्नाकर यह देखकर हैरान हुआ की नारद उसे देख बिल्कुल भी नहीं घबराए और वैसे ही खड़े रहे। फिर रत्नाकर ने नारद से कहा अगर तुम्हें अपनी जान बचानी है तो जो भी कीमती वस्तु है तुम मुझे वो दे दो। रत्नाकर की यह बात पर नारद ने जवाब दिया मेरे पास एक बेहद ही मूल्यवान वस्तु है पर क्या तुम उसे ले पाओगे रत्नाकर? नारद की यह बात सुनकर रत्नाकर थोड़ा हैरान हुआ।

किसके लिए करते हो लूट

नारद ने रत्नाकर से पूछा तुम यह काम क्यों और किसके लिए करते हो। जिस पर रत्नाकर ने जवाब दिया अपने परिवार के भरण पोषण के लिए। फिर नारद ने अगला सवाल किया- क्या तुम अपने परिवार की देखभाल दूसरों को लूटकर करते हो?  क्या इस काम में तुम्हारा परिवार तुम्हारे साथ हैं और समय आने पर तुम्हारे पक्ष में खड़ा रहेगा?

परिवार ने दिया कठोर जवाब

नारद की बात सुनकर रत्नाकर के मन में भी जिज्ञासा जागी और उन्होंने परिवार से लोगों से इसका जवाब मांगा। जिस पर उनके परिवार वालों का कहना था हम बेशक आपके लूट की गई संपत्ति से अपना गुजारा करते हैं, लेकिन इस पाप में हम आपके साथ नहीं खड़े हो सकते। डकैती का फल रत्नाकर को अकेले ही भोगना होगा, इस कर्म में कोई भी उनका सहभागी नहीं बन सकता।

राम मान की संपत्ति

परिवार के जवाब ने रत्नाकर को अंदर तक झंझोर दिया और उन्हे लगा कि वे अपना जीवन व्यर्थ के कामों में नष्ट कर रहे हैं और जिनके लिए वे ये कर्म कर रहे थे वे उनके सहभागी नहीं बन सकते। इसके बाद रत्नाकर वापस नारद मुनि के पास लौटे, तब नारद मुनि ने उन्हें राम नाम की संपत्ति के बारे में बताया और यही से शुरू हुआ रत्नाकर का आध्यात्मिक जीवन। आज भी पूरा संसार उन्हें महर्षि वाल्मीकि के नाम से जानता है और उनका सम्मान करता है।  

यहां से शुरू हुआ महर्षि वाल्मीकि का सफर। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ

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