ये 5 प्राचीन गुरुकुल तकनीक अपनाएं, तेजी से सीखेगा बच्चा
By Priyanka Pal13, Jun 2024 04:47 PMjagranjosh.com
गुरुकुल में अनुभव के साथ शिक्षा प्रदान की जाती थी। जिसमें सिद्धांत को व्यवहार के साथ जोड़ा जाता है। शिष्य ध्यान, योग, कृषि कार्य और गुरूजनों का आदर करना सीखते थे। इन गतिविधियों से व्यवहारिक शिक्षा और विकास बढ़ावा मिलता है। में सीखने का तरीका पारंपरिक था, जिसमें शिक्षा के साथ - साथ बाकी शिष्टाचार भी निहित होता था। आज जानिए भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति के बारे में जिससे आप जल्दी सीख सकते हैं।
शिक्षा
गुरुकुल में अनुभव के साथ शिक्षा प्रदान की जाती थी। जिसमें सिद्धांत को व्यवहार के साथ जोड़ा जाता है। शिष्य ध्यान, योग, कृषि कार्य और गुरूजनों का आदर करना सीखते थे। इन गतिविधियों से व्यवहारिक शिक्षा और विकास बढ़ावा मिलता है।
सीखने पर जोर
गुरुकुल में याद रखना बहुत जरूरी होता था। शिष्य शास्त्रों, भजनों, कविताओं और दार्शनिक ग्रंथों को याद करते थे। जिससे अनुशासन और जानकारी को याद रखने में मदद मिलती थी।
जीवन
शिष्य गुरु के मार्गदर्शन में एक साथ रहते थे, जिससे सहयोग बढ़ता था। तब सामुदायिक जीवन औपचारिक शिक्षा से परे निरंतर सीखने और चरित्र विकास में सहायक होता था।
मौखिक
गुरुकुल में शिक्षा मौखिक होती थी, जिसमें गुरु कहानी सुनाने, चर्चा करने और प्रत्येक शिष्य की योग्यता के अनुरूप व्यक्तिगत व्याख्यानों के माध्यम से ज्ञान प्रदान करते हैं।
गुरु शिष्य संबंध
गुरुकुल प्रणाली गुरु शिष्य संबंध पर केंद्रित है, जो आपसी सम्मान, विश्वास और भक्ति पर आधारित होता था। गुरू का ज्ञान और जीवन कौशल प्रदान था। तब शिष्य भी श्रद्धा और आज्ञाकारी हुआ करते थे।
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