महिलाएं ज्यादा क्यों रोती हैं?


By Mahima Sharan24, Oct 2024 11:52 AMjagranjosh.com

महिलाओं के रोने की वजह

बचपन में हम सभी ने कभी न कभी अपनी मम्मी, बुआ या दादी को रोते हुए देखा होगा, लेकिन पापा या दादा जी को शायद ही किसी ने रोता देखा होगा। औरतों के लिए एक कहावत तो सभी ने सुनी होगी कि 'औरतों की आंखों में समुंद्रा होता है' वहीं मर्दों के लिए कहा जाता है 'मर्द कभी नहीं रोते, क्योंकि मर्द को कभी दर्द नहीं होता'। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे भी साइंस हो सकता हैं।

पीछे छिपा है साइंस

जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा है। औरतों के ज्यादा रोने और पुरुषों के कम रोने के पीछे वाकई में साइंस है, जिसपर कई तरह के रिसर्च भी हो चुके हैं। बता दें कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का भावनात्मक विकास अलग होता है। आज हम आपको बताएंगे की महिलाएं इतना ज्यादा क्यों रोती हैं।

रिसर्च भी मानती है ये बात

नीदरलैंड की एक रिसर्च की मानें तो औरतें साल में 30 से 60 बार रोती हैं, जबकि पुरुष साल में मात्र 17 बार ही आंसू बहाते हैं। पुरुषों के मामले में कई बार ये आंकड़े और कम भी हो जाते हैं। रिसर्च की मानें, तो महिलाएं एक बार में 6 मिनट या उससे ज्यादा देर तक भी रो सकती है, वहीं पुरुष 2 से 3 मिनट रोकर चुप हो जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं औरतें रोते वक्त बहुत भावुक हो जाती हैं, जबकि पुरुषों का अपनी भावनाओं पर पूरा कंट्रोल होता है।

महिलाएं क्यों रोती हैं?

बता दें कि महिलाओं के इतने रोने के पीछे का कारण उनका हार्मोनल बदलाव है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की शरीर में लगातार हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं, जिसके कारण वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाती। सिर्फ इतना ही नहीं बचपन से ही एक महिला को कई तरह से सामाजिक दबाव से गुजरना पड़ता है, जिसके कारण वे बहुत भावुक और सहमी सी रहती है और छोटी-छोटी चीजों में घबरा कर रोने लगती हैं।

हार्मोन का बदलना

साइंस की माने तो इंसान के आंसुओं में प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन होता है। यह हार्मोन  महिलाओं की आंसुओं में पुरुषों की तुलना में दोगुना होता है, जिसके कारण महिलाएं पुरुषों से अधिक रोती हैं।

महिलाओं का भावुक स्वभाव

यह तो हम सभी जानते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं अधिक भावुक होती हैं। छोटी-छोटी बातों पर वे इमोशनल हो जाती हैं और उनके आंखों से आंसू निकलने लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बचपन से ही महिलाओं पर अपनी भावनाएं व्यक्त करने का दबाव नहीं रहा है, यहीं कारण है कि महिलाएं खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाती हैं। वहीं, बात अगर पुरुषों की करें तो समाज की ओर से पुरुषों को हमेशा कठोर बने रहने की नसीहत मिली हैं। उन्हें बचपन से ही सिखाया गया है तुम लड़के हो तुम नहीं रो सकते और यह बात उनसे स्वभाव में इतनी ढ

दबाव

एक महिला को घर से लेकर बाहर तक की जिम्मेदारियां उठाने के साथ-साथ सामाजिक अपेक्षाओं का भी सामना करना पड़ता है। जिसके कारण वे दबाव में रहती हैं और उनकी यही भावनाएं आंसू के रूप में निकल जाती हैं। बता दें महिलाएं बेहद ही नाजुक और कोमल स्वभाव की होती हैं यहीं कारण है कि वे दुख और दबाव के साथ-साथ खुशी के पल में भी उनके आंखों से आंसू छलक जाते हैं।

महिलाओं को स्वभाव और हार्मोन दोनों ही अलग होते हैं। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ

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