By Mahima Sharan31, Oct 2023 03:15 PMjagranjosh.com
मेहंदी का चयन
शादी-ब्याह और तीज त्यौहार के मौके पर मेहंदी लगाने का चलन बहुत ही पुराना ऐसा कहा जाता है कि जिस महिला की मेहंदी ज्यादा काली होती है उसका पति उससे उतना ज्यादा प्यार करता है।
मेहंदी का इतिहास
ये सब तो लोगों को कहना है, लेकिन क्या आप जानते हैं मेहंदी के पीछे का राज? मेहंदी से जहां एक तरफ हाथों की खूबसूरती बढ़ती है वहीं इसके बहुत सारे फायदे भी है। इसकी तासीर बहुत ही ठंडी होती है।
मुगल रानियों ने की शुरुआत
ऐसा मानना है कि हिंदुस्तान में मेहंदी की शुरुआत 12वीं सदी में मुगल सम्राट के दौरान हुई थी। मुगल रानियों को मेहंदी के औषधीय गुणों और शीतल प्रभाव के बारे में पता था साथ ही उन्हें मेहंदी से सजना पसंद था।
हिंदू धर्म
इसके बाद कई हिंदू घरों में भी मेहंदी की प्रथा शुरू हो गई, लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार मेहंदी की शुरुआत प्राचीन काल में मां दुर्गा ने मेहंदी की शुरुआत की थी।
देवता और राक्षस
दरअसल प्राचीन समय में जब राक्षस देवताओं को क्षति पहुंचा रहे थे, तब सभी देवताओं ने मां दुर्गा से सहायता मांगी और तभी मां ने सभी की रक्षा करने का वचन दिया था।
मां काली
राक्षसों का खात्मा करने के लिए मां दुर्गा ने देवी काली का रूप लिया था। इसके बाद माता का स्वरूप रक्तिम हो गया था। यह देखकर सभी देवता डर गए और इंद्र के पास पहुंचे, लेकिन इंद्र देव ने उन्हे शिव जी की सहायता लेने के लिए कहा।
सुर सुंदरी को किया प्रकट
देवताओं की इस घबराहट का जिक्र शिव ने मां दुर्गा और जब उन्हें इस बात का आभास हुआ तो उन्होंने अपनी शरीर से एक बेहद ही खूबसूरत देवी को प्रकट किया। जिनका नाम था सुर सुंदरी।
मां ने दिया वरदान
सुर सुंदरी ने मां का क्रोध शांत करने के लिए माता के शरीर पर रच गई जिसके बाद मां बेहद ही प्रसन्न हुई और उन्हें वरदान दिया कि जिस तरह आज तुमने मेरे अंगों की शोभा बढ़ाई है उसी तरह तुम हमेशा औरतों की खूबसूरती बढ़ाओंगी और लोग तुम्हें औषधि के रूप में प्रयोग करेंगे।
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