आगरा के चीनी का रोजा किसने और कब बनवाया था?


By Priyanka Pal01, Aug 2024 06:00 AMjagranjosh.com

आगरा के चीनी का रोजा

चीनी का रोजा अपने स्थापत्य कला, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण एक महत्वपूर्ण स्मारक है। आज इस वेब स्टोरी में जानिए कि इसे किसने और कब बनवाया था।

चीनी का रोजा

चीनी का रोजा या आगरा का चीनी मकबरा भी इसे कहते हैं। यह मकबरा शुक्रुल्लाह शीराजी अफजल खां अल्लामी का है।

अफजल खां कौन था?

फारसी मूल का कवि अफजल खां, शाहजहां के दरबार में वजीर के पद पर पहुंच गया था। ताजमहल के अलावा आगरा में बहती यमुना के किनारे बसा दूसरा स्मारक चीनी का रोजा भी काफी मशहूर है।।

शाहजहां भी था चीनी मकबरे का दीवाना

जी हां, ताजमहल की सुंदरता की दुनिया दीवानी है, लेकिन आगरा में ऐसा भी अनूठा स्मारक है, जिसकी खूबसूरती देखकर शाहजहां दीवाने हो गए थे।

कब बना

शीराजी ने खुद ही यह मकबरा अपने लिए साल 1628 से 1639 के बीच बनवाया था, जिसकी खूबसूरती को देखकर मुगल शहंशाह शाहजहां भी हैरान रह गए थे।

काशीकरी कारीगरी

नीले रंग के टाइलों से बना यह मकबरा अपनी चमक के लिए ही मशहूर था। यह इमारत ईरान की विलुप्त हो चुकी काशीकरी कारीगरी से बनी है।

अफजल खां दफन

1639 में अफजल खां की मृत्यु लाहौर में हुई, लेकिन उनकी इच्छा के मुताबिक आगरा में चीनी क रोजा में दफनाया गया।

शिराजी का शासन

इतिहासकार राजकिशोर राजे के मुताबिक मुगल बादशाह जहांगीर के बाद शाहजहां के दरबार में शिराजी वित्त मंत्री का दायित्व संभाले हुए थे।

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