100 साल से भी पुराना DAV कैसे बना बेस्ट स्कूल? जानिए


By Priyanka Pal15, Oct 2024 11:40 AMjagranjosh.com

DAV

DAV यानी दयानंद एंग्लो वैदिक दो कमरों से शुरू हुआ यह 100 साल पुराना इंस्टीट्यूट आज देशभर में इसके 900 कैंपस हैं। आर्य समाज की फिलॉसफी पर बेस्ड इस स्कूल की शुरूआत बहुत पहले की गई थी।

शुरूआत

DAV का मोटो अंधकार से प्रकाश की ओर चलना है, पहला डीएवी स्कूल 1 जून 1886 को महात्मा हंसराज के आत्म-त्याग के साथ स्वामी दयानंद सरस्वती के स्मारक के रूप में लाहौर में शुरू किया गया था।

एजुकेशन

1886 में लाहौर में स्थापित, ये स्कूल दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज ट्रस्ट और मैनेजमेंट सोसाइटी द्वारा चलाए जाते हैं, जिसे आमतौर पर दयानंद एंग्लो-वैदिक एजुकेशन सोसाइटी के नाम से भी जाना जाता है।

सिलेबस

स्कूल में आज तक वेद पाठ पढ़ाया जाता है, तीसरी से लेकर 8वीं क्लास तक संस्कृत जैसा विषय भी पढ़ाया जाता है। यहां कोई CBSE बोर्ड नहीं बल्कि DAV बोर्ड होता है।

बोर्ड एग्जाम

DAV बोर्ड में जहां सभी स्कूलों में स्टूडेंट 10वीं और 12वीं में बोर्ड देते हैं, तो वहीं DAV में 8वीं और 11वीं में भी बोर्ड एग्जाम देते हैं।

DAV का उद्देश्य

उन्हें अच्छे इंसान बनने के लिए तैयार करना, जो रिश्तों को बढ़ावा दें और नैतिक रूप से मजबूत व्यक्ति हों।

संतुलन बनाना

उन्हें सुखद विकास के लिए ऐसा माहौल देना जो उन्हें जीवन के हर अच्छे-बुरे समय में संतुलन बनाए रखने के लिए तैयार करे।

वेदों की ओर लौटो

यह स्कूल वेदों की ओर लौटो का आवाहन करता है, उन्होंने आर्य समाज के मार्गदर्शक सिद्धांतों को प्रस्तुत किया, जिसमें शिक्षा का प्रसार सबसे प्रमुख था।

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