साइंस के अनुसार: क्यों पुरुषों से ज्यादा रोती हैं महिलाएं?


By Mahima Sharan04, Feb 2025 05:41 PMjagranjosh.com

पुरुषों से ज्यादा क्यों रोती हैं महिलाएं

जब भी कोई लड़का रोता है, तो ज्यादातर लोगों को आपने यही कहते हुए सुना होगा कि लड़कियों की तरह मत रो, या इतना क्यों रो रहे हैं तुम लड़की हो क्या?   लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर औरतों को लेकर ऐसा क्यों कहा जाता है?

क्या है इसके पीछे की वजह

हां, ये बात बिल्कुल सच है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा रोती है। दरअसल महिलाओं के ज्यादा रोने के पीछे भी एक साइंस छिपा है। आइए जानते हैं महिलाओं के ज्यादा रोने के पीछे एक साइंस छिपा है।  

क्या कहती है साइंस

साइंस के अनुसार, महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज़्यादा रोती हैं, इसका असल कारण हार्मोनल अंतर होता है। महिलाओं में प्रोलैक्टिन (भावनात्मक स्थितियों से जुड़ा एक हार्मोन) का स्तर ज्यादा होता है, जबकि टेस्टोस्टेरोन, जो पुरुषों में ज्यादा होता है, रोने को रोक सकता है; इसका मतलब है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज़्यादा बार रोने की जैविक प्रवृत्ति होती है।

हार्मोनल प्रभाव

प्रोलैक्टिन, जो महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है, भावनात्मक आंसुओं से जुड़ा होता है, जबकि टेस्टोस्टेरोन, जो पुरुषों में ज्यादा होता है, रोने के व्यवहार को दबाता है।

उम्र के साथ बदलती है हार्मोन

दोनों लिंगों के बच्चे समान दरों पर रोते हैं, यह दर्शाता है कि यह अंतर मुख्य रूप से बड़े होने के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है।

सामाजिक कारक

सांस्कृतिक मानदंड और लिंग भूमिका अपेक्षाएं भी इस बात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं कि लोग भावनाओं को कैसे व्यक्त करते हैं और क्या वे सार्वजनिक रूप से रोने में सहज महसूस करते हैं। ज्यादा पुरुषों पर सामाजिक दबाव भी होता है, जिसके कारण वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं पाते हैं। वहीं महिलाओं पर भी सामाजिक दबाव होता, क्योंकि उन्हें हर मोड पर आलोचना और रिस्ट्रिक्शन का सामना करना पड़ता है इसलिए महिलाएं जल्दी से रो पड़ती है।

यही कारण है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं जल्दी से रो पड़ती है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ 

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