By Mahima Sharan15, Aug 2024 12:36 PMjagranjosh.com
जब झंडे में लगा अशोक चक्र
गांधी जी चाहते थे कि तिरंगे में चरखा इस्तेमाल किया जाए लेकिन जब उन्हें पता चला कि तिरंगे से चरखा हटाया जा रहा है और उसकी जगह अशोक चक्र का इस्तेमाल किया जाएगा तो वे बहुत दुखी हुए।
झंडे को सलाम करने से गांधी ने किया इनकार
गांधी जी मे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने भी अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी। उन्होंने कहा मैं भारत के झंडे से चरखा हटाने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकता, इसलिए मैं इस झंडे को सलाम नहीं करूंगा।
गांधी जी क्या चाहते थे
यह पता चलने की तिरंगे से चरखा हटाकर अशोक चक्र लगा दिया गया, गांधी जी बहुत दुखी हुए। उन्होंने साल 1919 में देश के तिरंगे को अपनी संस्तुति दी थी।
यंग इंडिया
तब से इसे कांग्रेस अधिवेशन में फहराया जाने लगा। मसूलीपट्टनम के पी. वैकैय्या ने कई डिजाइन पेश किए थे। गांधी जी ने इस मामले पर अपने विचार यंग इंडिया के जरिए लोगों को बताए थे।
तिरंगे में चरखे का मतलब
गांधीजी के अनुसार चरखा सिर्फ सूत कातने का औजार नहीं था। यह सिर्फ गरीबों को रोजगार और आय ही नहीं दे रहा था बल्कि यह मानवता, सादगी और किसी को परेशान न करने का प्रतीक भी था, साथ ही गरीब और अमीर के बीच एक अटूट बंधन भी था।
राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व
संविधान सभा में गैर-कांग्रेसी सदस्यों ने तिरंगे में चरखे पर आपत्ति जताई थी। उनका मानना था कि चरखा एक राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करता है। इसे देश के लिए कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
यही कारण था की गांधी जी ने तिरंगे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ
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