कहीं अपेक्षाओं के तले दब न जाए बच्चा, इन चीजों से पहचाने बच्चों की भावनाएं


By Mahima Sharan17, Dec 2024 04:36 PMjagranjosh.com

बच्चों को प्रभावित करने वाली आदतें

बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनसे आशा रखने में कोई बुराई नहीं हैं, लेकिन अपनी अपेक्षाएं बच्चों पर थोपना खतरनाक साबित हो सकता है। इस तरह से आप बच्चों पर मानसिक दबाव बनाते हैं, जिसे कई बाक बच्चों को डिप्रेशन का सामना करना पड़ता हैं।

बात मनवाने का दबाव

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे संस्कारी और आज्ञाकारी बनें। बच्चों से अपनी बात मनवाना अच्छी बात हैं, लेकिन यह भी ध्यान रखें कि आपमें और बच्चों में पूरी एक पीढ़ी का फर्क हैं, ऐसे में जरूरी नहीं कि आपके और उनके विचार मेल खाएं। कोशिश करें की बच्चों पर जबरन अपनी बात न थोपे, उन्हें भी स्पेस दें। जबरदस्ती के कारण बच्चे काम तो कर देते हैं, लेकिन इससे वे धीरे-धीरे अपने माता-पिता से दूर होते जाते हैं।

दूसरों से तुलना करने का दबाव

हर माता-पिता अपने बच्चों को बेस्ट बनता हुआ देखना चाहते हैं, लेकिन आपको यह समझना होगा कि हर कोई एक जैसा नहीं होता है। ऐसे में किसी बच्चे की तुलना कर के आप उनका आत्मविश्वास कम कर रहे हैं। बच्चों का मन बेहद ही कोमल होता है, जब माता-पिता उन्हें उनके दोस्तों या किसी अन्य बच्चों से तुलना करते हैं, तब उनके मन में द्वेश की भावना पैदा होने लगती हैं, वहीं कुछ बच्चे खुद को नाकारा और व्यर्थ समझना शुरू कर देते हैं।

सामाजिक बनने का दबाव

यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं की हर बच्चे को लोगों से मिलना-जुलना और समय बिताना पसंद हो। कुछ बच्चे अकेले रहने पसंद करते हैं या हो सकता है कि वे चुनिंदा लोगों के साथ ही खुल पाते हो। इसलिए बच्चों पर कभी भी दबाव न बनाए कि वे लोगों से मिलें-जुलें। उन्हें अपने हिसाब से दोस्त चुनने का पूरा हक हैं। बच्चे जानते हैं कि वे कब और किन लोगों के साथ खुल सकते हैं।

भावनाएं व्यक्त न करने देना

बेशक आप अपने बच्चों को बेस्ट देने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हों, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि बच्चा हमेशा हंसता ही रहें। बड़ों की तरह बच्चों पर भी परिस्थिति का असर पड़ता हैं और वे अपनी डर, क्रोध, आंसू के जरिए वे अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। ऐसे में बच्चों को डांट कर चुप कर देना गलत होगा। इस समय बच्चों को किसी ऐसे इंसान की जरूरत होती हैं, जो उनकी बातें सुने और उन्हें खुलकर बोलने का मौका दें। माता-पिता के तौर पर आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप अपने बच्चों के दोस्त बन सकें और बच्चा खुलकर आपसे अपनी फ

ज्यादा की उम्मीद रखना

कई बार पेरेंट्स दूसरों के साथ बेस्ट दिखने के चक्कर में अपने बच्चों से उम्मीद करते हैं कि उनके बच्चे हद से ज्यादा समझदारी के साथ पेश आए। वे उम्मीद करते हैं कि कम उम्र में ही बच्चों में समझदारी आ जाएं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि उनके उम्र का पड़ाव अलग होता है और वे उस दौरान नई चीजें सीख रहे होते हैं। ऐसे में बच्चों से उम्र से ज्यादा समझदारी की अपेक्षा करना उनके साथ अन्याय करने जैसा ही है।

माता-पिता को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उनकी उम्मीदें बच्चों के लिए परेशानी का कारण न बन जाएं। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ 

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