प्रारंभिक वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल के बीच क्या है अंतर?
By Mahima Sharan06, Mar 2025 10:00 AMjagranjosh.com
वैदिक कालों के बीच अंतर
वैदिक युग प्राचीन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग था। अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह बेहद ही जरूरी है, क्योंकि ज्यादातर सरकारी परीक्षाओं और यूपीएससी में इससे जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। वैदिक युग को प्रारंभिक वैदिक काल (1500 - 1000 ईसा पूर्व) और बाद के वैदिक काल (1000 - 600 ईसा पूर्व) में विभाजित किया गया है।
जाति-धर्म
प्रारंभिक वैदिक काल में जाति व्यवस्था लचीली थी और यह जन्म के बजाय पेशे पर आधारित थी। वहीं, उत्तर वैदिक काल में जाति व्यवस्था अधिक कठोर हो गई जिसमें जन्म मुख्य मानदंड बन गया।
शूद्र या अछूत
प्रारंभिक वैदिक काल में शूद्र या अछूत जैसी कोई अवधारणा नहीं थी, उत्तर वैदिक काल में शूद्र मुख्य आधार बन गए थे। उनका एकमात्र कार्य उच्च जातियों की सेवा करना था।
लेन-देन
प्रारंभिक वैदिक काल में, बार्टर सिस्मट का दौर था, जिसमें बहुत कम या बिना किसी पैसे के लेनदेन होते थे। यद्यपि बार्टर सिस्टम अभी भी प्रचलन में थी, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर सोने और चांदी के सिक्कों के आदान-प्रदान द्वारा बदला गया था, जिन्हें कृष्णला के रूप में जाना जाता था।
महिलाओं का योगदान
प्रारंभिक वैदिक काल में महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता दी गई। उन्हें उस समय की राजनीतिक प्रक्रिया में एक निश्चित सीमा तक भाग लेने की अनुमति दी गई। वहीं, उत्तर वैदिक काल के दौरान महिलाओं को विनम्र भूमिकाओं में धकेलकर समाज में उनकी भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
लीडरशिप
प्रारंभिक वैदिक काल के दौरान राजत्व परिवर्तनशील था क्योंकि राजाओं को समिति द्वागा स्थानीय सभा में एक निश्चित समय के लिए चुना जाता था, यानि एक समिति राज को कुछ समय के लिए चुनती थी। उत्तर वैदिक काल में जैसे-जैसे समाज अधिक शहरीकृत होता गया, स्थिर नेतृत्व की आवश्यकता महसूस की गई। इस प्रकार राजाओं का शासन अधिक से अधिक प्रमुख होता गया।
समाज की निर्भरता
प्रारंभिक वैदिक समाज पशुपालन और अर्ध-खानाबदोश प्रकृति का था। उत्तर वैदिक समाज प्रकृति में अधिक स्थिर हो गया। यह सामान्य रूप से कृषि पर केंद्रित हो गया।
प्रारंभिक वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल दोनों ही एक दूसरे से विपरित है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ