साइकोलॉजी के अनुसार बात-बात पर बच्चों पर हाथ उठाने के होते हैं ये 10 नुकसान
By Mahima Sharan23, Oct 2024 05:29 PMjagranjosh.com
सख्त रवैया
उम्र के साथ-साथ बच्चों की शरारत भी बढ़ती जाती है। कुछ बच्चे जिद्दी बन जाते हैं, तो कुछ गुस्सैल और चीजें फेंकना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में माता-पिता के लिए उन्हें संभालना बेहद ही मुश्किल हो जाता है। ज्यादातर माता-पिता ऐसे बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए सख्त रवैया अपनाते हैं। यह उम्र बच्चों के लिए बेहद ही नाजुक होता है और छोटी-छोटी चीजों से भी उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको साइकोलॉजी के अनुसार कुछ नुकसानों के बारे में बताएंगे, जो बच्चों पर सख्त रवैए से पड़ता है।
खराब आत्मविश्वास
जब माता-पिता छोटी-छोटी बातों पर बच्चों पर हाथ उठाने लगते हैं, तब बच्चा खुद को कम आंकने लगता है। ऐसे बच्चों का आत्मविश्वास अन्य की तुलना बेहद ही कम होता है और ये बच्चे खुद को हमेशा छोटा या कमजोर समझने लगते हैं।
माता-पिता से दूरी
माता-पिता से हद से ज्यादा डांट और मार खाने वाले बच्चे मन ही मन उनसे दूरी बना लेते हैं और अपनी बातें उनके छिपाने लगते हैं। बच्चे अपने माता-पिता से झिझकने लगते हैं और अगर उससे कोई गलती भी होती है, तो वे उसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि उन्हें मार खाने का भय होता है।
अधिक चिड़चिड़ापन
यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि मार खाने के बाद बच्चे सुधर जाए और उनके व्यवहार में बदलाव आए। कई बार परिस्थितियां इसके विपरीत भी होती हैं। ज्यादा डांट-मार खाने वाले बच्चे पहले से अधिक चिड़चिड़े और गुस्सैल बन जाते हैं और कई बार जान-बुझ कर वे चीजें करना शुरू कर देते हैं, जिससे आपको परेशानी हो।
प्यार से समझाना
बच्चों को अगर प्यार से समझाया जाए, तो वे उन बातों को समझते हैं और अपनी गलतियों सो स्वीकार कर के सुधारने का प्रयास करते हैं। लेकिन बात-बात पर मार खाने वाले बच्चे अपनी गलतियों को स्वीकार करने का प्रयास नहीं करते, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वे उस काम को करेंगे, तो फिर से गलती होने के आसार है और उन्हें पिटाई पड़ सकती है।
गुस्सैल व्यवहार
ज्यादा पिटाई खाने वाले बच्चों का व्यवहार एक समय के बाद अधिक गुस्सैल बन जाता है। वे हर बात पर झिल्ला कर रियेक्ट करना शुरू कर देते हैं। बच्चों के अंदर यह व्यवहार होना भी सही नहीं है।
भावनात्मक कमजोर
हद से ज्यादा मार खाने वाले बच्चे भावनात्मक तौर पर कमजोर बन जाते हैं। इस बच्चों का अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं होता। ऐसे बच्चे बच्चे दूसरों की भावनाओं की कदर नहीं करते, क्योंकि उन्हे यह व्यवहार बेहद ही आम लगता है।
जिंदगी भर का डर
बच्चों की जिंदगी में माता-पिता का सबसे बड़ा किरदार होता है और जो बच्चा अपने ही पेरेंट्स से डरने लगे, वो बच्चा जीवन में किसी पर भरोसा नहीं कर पाता। बड़े होने के बाद भी इन बच्चों के मन में डर रहता है। कई बार तेज आवाज इस लोगों को सहमा देती है।
अगर आप अपने बच्चे को एक बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं, तो उनको समझने का प्रयास करें। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ
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