माता सीता के पांच सीख जो आपका जीवन बदल देंगी


By Mahima Sharan22, Jan 2024 09:33 AMjagranjosh.com

प्रकृति प्रेम

सीता को प्रकृति से बहुत प्यार था, वह बचपन से ही मिट्टी से चिपकी रहती थीं, मिट्टी से खेलती थीं, उससे सुंदर आकृतियां बनाती थीं, देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाती थीं।

प्रश्न पूछें

जब सीता छोटी थीं तो वह बहुत जिज्ञासु थीं, सीता अपने शिक्षकों, गुरुओं, अपने माता-पिता, हर किसी से बहुत सारे प्रश्न पूछती थीं, जब भी उनके सामने कोई चर्चा आती थी या कोई ऐसी बात आती थी जो उन्हें समझ नहीं आती थी या जिसके बारे में उन्हें कोई जानकारी होती थी।

साहित्य प्रेम

सीता भी साहित्य प्रेमी थीं, मिथिला एक शिक्षा प्रधान राज्य था, मिथिला में ज्ञान की गंगा बहती थी, राजा जनक समय-समय पर साहित्य संगोष्ठी का आयोजन करते थे, जिसमें सीता भी बचपन से ही भाग लेती थीं।

संयुक्त परिवार

सीता की जीवनी से हमें यह शिक्षा भी मिलती है कि हमें अपने बहन, भाई, चाचा-चाची, माता-पिता का सम्मान करना चाहिए, सभी से प्रेम करना चाहिए और उनके साथ मिलकर रहना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण

सीता ने महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत सारे काम किये, जैसे सीता पहली महिला थीं जिन्होंने एक महिला शिक्षक को गुरुकुल में लिया, हालाँकि मिथिला एक शिक्षा प्रधान राज्य था, फिर भी वहाँ लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार था।

महिला सशक्तिकरण

सीता ने महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत सारे काम किये, जैसे सीता पहली महिला थीं जिन्होंने एक महिला शिक्षक को गुरुकुल में लिया, हालाँकि मिथिला एक शिक्षा प्रधान राज्य था, फिर भी वहां लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार था।

खाना पकाने में कुशल

सीता की माँ सुनयना बचपन से ही अपनी सभी बेटियों को रसोई में अपने साथ रखती थीं और न केवल उन्हें खाना बनाना सिखाती थीं बल्कि अच्छे भोजन के गुणों के बारे में भी जानकारी देती थीं। सीता का यही गुण आगे चलकर उनके काम भी आया।

बिना साहस के आप दुनिया में कुछ नहीं कर सकते - अरस्तु